1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. चंद्रयान-3 : विक्रम लैंडर के कैमरे ने बनाया चंद्रमा की सतह का वीडियो, यही डिवाइस खोजेगा लैंडिंग की जगह
चंद्रयान-3 : विक्रम लैंडर के कैमरे ने बनाया चंद्रमा की सतह का वीडियो, यही डिवाइस खोजेगा लैंडिंग की जगह

चंद्रयान-3 : विक्रम लैंडर के कैमरे ने बनाया चंद्रमा की सतह का वीडियो, यही डिवाइस खोजेगा लैंडिंग की जगह

0
Social Share

नई दिल्ली, 18 अगस्त। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने ट्विटर हैंडल पर चंद्रमा की सतह का नया वीडियो जारी किया है। विक्रम लैंडर (Vikram Lander) पर लगे लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC) ने यह वीडियो बनाया है।

LPDC विक्रम लैंडर के निचले हिस्से में लगा हुआ है। यह इसलिए लगाया गया है ताकि विक्रम अपने लिए लैंडिंग की सही और सपाट जगह खोज सके। इस कैमरे की मदद से यह देखा जा सकता है कि विक्रम लैंडर किसी ऊबड़-खाबड़ जगह पर लैंड तो नहीं कर रहा है या किसी गड्ढे यानी क्रेटर में तो नहीं जा रहा है।

इस कैमरे को लैंडिंग से थोड़ा पहले फिर से ऑन किया जा सकता है क्योंकि अभी जो तस्वीर आई है, उसे देखकर लगता है कि यह कैमरा ट्रायल के लिए ऑन किया गया था ताकि तस्वीरों या वीडियो से यह पता चल सके कि वह कितना सही से काम कर रहा है। चंद्रयान-2 में भी इस सेंसर का इस्तेमाल किया गया था। वह सही काम कर रहा था।

विक्रम के लिए लैंडिंग की सही जगह खोजना ही LPDC का काम है। इस पेलोड के साथ लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉयडेंस कैमरा (LHDAC), लेजर अल्टीमीटर (LASA), लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर (LDV) और लैंडर हॉरीजोंटल वेलोसिटी कैमरा (LHVC) मिलकर काम करेंगे ताकि लैंडर को सुरक्षित चंद्रमा की सतह पर उतारा जा सके।

विक्रम लैंडर जिस समय चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, उस समय उसकी गति दो मीटर प्रति सेकेंड के आसपास होगी। लेकिन हॉरिजेंटल गति 0.5 मीटर प्रति सेकेंड होगी। विक्रम लैंडर 12 डिग्री झुकाव वाली ढलान पर उतर सकता है। इस गति, दिशा और समतल जमीन खोजने में ये सभी यंत्र विक्रम लैंडर की मदद करेंगे। ये सभी यंत्र लैंडिंग से करीब 500 मीटर पहले एक्टिवेट हो जाएंगे।

इसके बाद विक्रम लैंडर में लगे चार पेलोड्स सक्रिय हो जाएंगे। ये हैं रंभा (RAMBHA), चास्टे (ChaSTE), इल्सा (ILSA) और लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA)। रंभा – यह चंद्रमा की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। चास्टे – यह चंद्रमा की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा। इल्सा – यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा। लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे – यह चंद्रमा के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code