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डिजिटल मीडिया को भी मीडिया नियामक नियमों में लाने की तैयारी, केंद्र सरकार जल्द लाएगी विधेयक

डिजिटल मीडिया को भी मीडिया नियामक नियमों में लाने की तैयारी, केंद्र सरकार जल्द लाएगी विधेयक

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नई दिल्ली, 15 जुलाई। केंद्र सरकार समाचार पत्रों के लिए नई पंजीकरण व्यवस्था के लिए बिल तैयार कर रही है, जिसमें डिजिटल समाचार मीडिया उद्योग भी शामिल होगा। फिलहाल डिजिटल मीडिया अभी केंद्र के पंजीकरण ढांचे में शामिल नहीं है और इस प्लेटफॉर्म पर प्रसारित समाचारों, सूचनाओं या सामग्रियों को लेकर अकसर ही विवाद उठते रहते हैं।

डिजिटल मीडिया उद्योग को भी प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष रजिस्ट्रेशन कराना होगा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब यदि केंद्र ने मीडिया पर संकुचन का दायरा बढ़ाया तो तो डिजिटल मीडिया उद्योग को भी प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। बताया जा रहा है सरकार जल्द ही कैबिनेट के समक्ष बदलाव के साथ प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2019 का प्रस्ताव रखेगी। नया विधेयक औपनिवेशिक युग के प्रेस और पुस्तकों के पंजीकरण अधिनियम, 1867 की जगह लेगा, जो वर्तमान में भारत में समाचार पत्र और प्रिंटिंग प्रेस उद्योग को नियंत्रित करता है।

डिजिटल समाचार पोर्टलों को समाचार पत्रों के बराबर लाने का प्रस्ताव

विधेयक में डिजिटल समाचार पोर्टलों (digital news portals) को समाचार पत्रों के बराबर लाने का प्रस्ताव है। न्यूज पोर्टल को प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के साथ इकाई को पंजीकृत करने के लिए कहा जाएगा। फिलहाल डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म के लिए ऐसा कोई रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता है।

केंद्र ने वर्ष 2019 में प्रेस और आवधिक विधेयक के पंजीकरण का मसौदा तैयार किया था, जिसमें ‘डिजिटल मीडिया पर समाचार’ को ‘डिजिटल प्रारूप में समाचार’ के रूप में परिभाषित किया गया था, जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर या मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सकता है और इसमें टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स शामिल हैं। इसे लेकर तब बहस छिड़ गई थी, जब कई लोगों ने आरोप लगाया था कि यह डिजिटल समाचार मीडिया को ‘नियंत्रित’ करने का प्रयास है।

प्रकाशन उद्योग को काफी हद तक राहत मिलेगी

हालांकि इसके बाद केंद्र ने मसौदा विधेयक को आगे नहीं बढ़ाया। लेकिन अब इस कानून को मंजूरी देने के लिए कैबिनेट के सामने रखा जा सकता है ताकि जल्द ही इसे संसद में लाया जा सके। यह विधेयक पुस्तकों के पंजीकरण और उससे जुड़े मामलों से संबंधित मौजूदा प्रावधानों को भी हटा देगा, जिससे पुस्तक प्रकाशन उद्योग काफी हद तक मुक्त हो जाएगा।

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