नई दिल्ली, 24 अगस्त। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इतिहासकार इरफान हबीब पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘गुंडा’ करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि हबीब ने हाथापाई करके उनकी आवाज ‘दबाने’ की कोशिश की थी। आरिफ मोहम्मद खान इरफान हबीब पर तब भड़कते नजर आए जब 2019 की कन्नूर विश्वविद्यालय की एक घटना को याद करते हुए मंगलवार को उन्होंने निशाना साधा।
- ‘हाथापाई करके मेरी आवाज दबानी चाही’
दरअसल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नई दिल्ली में मीडिया के एक सवाल के जवाब में यह बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि क्या किसी अकादमिक विद्वान का काम झगड़ना है। इरफान हबीब गुंडा हैं। जब मैंने जवाब देने की कोशिश की तब उन्होंने हाथापाई करके मेरी आवाज दबानी चाही थी उन्होंने दिसंबर 2019 की घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि हबीब भिड़ने के लिए उनके पास पहुंच गए थे।
कन्नूर विश्वविद्यालय की घटना का जिक्र किया
असल में उस समय कन्नूर विश्वविद्यालय में भारतीय इतिहास कांग्रेस का आयोजन हुआ था, जिसका उद्घाटन करने आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे थे। उस कार्यक्रम में हबीब भी एक वक्ता थे। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब इस कार्यक्रम में राज्यपाल अपना संबोधन शुरू करने वाले थे, तब ज्यादातर प्रतिनिधि अपनी सीट से खड़े हो गए थे और संशोधित नागरिकता कानून पर उनके रूख पर अपना विरोध जताने लगे थे।
- ‘हाथापाई करके मेरी आवाज दबानी चाही’
दरअसल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नई दिल्ली में मीडिया के एक सवाल के जवाब में यह बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि क्या किसी अकादमिक विद्वान का काम झगड़ना है। इरफान हबीब गुंडा हैं। जब मैंने जवाब देने की कोशिश की तब उन्होंने हाथापाई करके मेरी आवाज दबानी चाही थी उन्होंने दिसंबर 2019 की घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि हबीब भिड़ने के लिए उनके पास पहुंच गए थे।
- कन्नूर विश्वविद्यालय की घटना का जिक्र किया
असल में उस समय कन्नूर विश्वविद्यालय में भारतीय इतिहास कांग्रेस का आयोजन हुआ था, जिसका उद्घाटन करने आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे थे। उस कार्यक्रम में हबीब भी एक वक्ता थे। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब इस कार्यक्रम में राज्यपाल अपना संबोधन शुरू करने वाले थे, तब ज्यादातर प्रतिनिधि अपनी सीट से खड़े हो गए थे और संशोधित नागरिकता कानून पर उनके रूख पर अपना विरोध जताने लगे थे।
बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि कुलपति रवींद्रन शारीरिक रूप से मुझे चोट पहुंचाने की साजिश का हिस्सा थे। वह राजनीतिक कारणों से कुलपति के पद पर हैं। मुझे कुलपति ने वहां आमंत्रित किया था। जब मुझ पर हमला किया गया, तब उनका क्या दायित्व था। क्या उनसे पुलिस में इसकी सूचना देने की उम्मीद नहीं थी? लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।