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माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, मऊ सहित पूरे यूपी में धारा 144 लागू

माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, मऊ सहित पूरे यूपी में धारा 144 लागू

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बांदा, 28 मार्च। गैंगस्टर से राजनेता बने माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार की शाम हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई। बांदा जेल में बंद मुख्तार की तबीयत बिगड़ने के बाद मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान मुख्तार ने दम तोड़ दिया। प्रशासन की ओर से मौत की पुष्टि कर दी गई है।

पांच बार के विधायक रहे 60 वर्षीया मुख्तार की मौत की पुष्टि होते ही पूरे उत्तर प्रदेश में एहतियातन धारा 144 लागू कर दी गई है। मुख्तार के गृह जनपद गाजीपुर, उसके विधानसभा क्षेत्र मऊ और बांदा में सुरक्षा बलों को अलर्ट रहने कहा गया है।

लगभग दो दशक से जेल में बंद मुख्तार अंसारी की तबीयत इस सप्ताह दूसरी बार बिगड़ी थी। पहली बार चेकअप के बाद वापस जेल भेजा गया था, जहां गुरुवार को फिर तबीयत खराब हो गई। चेकअप में हार्ट अटैक की आशंका के बाद एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस-प्रशासन के कई अधिकारी मौके पर हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले मुख्तार की सोमवार रात हालत बिगड़ी थी, जिस पर जिला अस्पताल से तीन डॉक्टर बुलाए गए थे। पेट दर्द और फूलने की शिकायत के साथ मोशन नहीं हो रहा था। रात पौने चार बजे उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। यहां 14 घंटे आईसीयू में रखने के बाद मंगलवार शाम सवा छह बजे डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसके बाद उसे फिर से जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।

मुख्तार की बुधवार दोपहर फिर हालत बिगड़ी तो जिला अस्पताल से डॉक्टर बुलाए गए। एनिमा आदि लगाने के बाद मुख्तार को राहत मिली। गुरुवार दोपहर को मुख्तार को अचानक पेट और सीने में दर्द की शिकायत हुई। इस पर जिला अस्पताल से फिर डॉक्टर बुलाए गए। शाम करीब आठ बजे मुख्तार के सीने में तेज दर्द हुआ और उसकी हालत बिगड़ गई। बताया गया कि उसे हार्ट अटैक पड़ा है। अंततः मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान ही मुख्तार की मृत्यु  हो गई।

भाई अफजाल ने लगाया था साजिश का आरोप

बांदा जेल में बंद मुख्तार की तबीयत खराब होने पर उनके भाई अफजाल अंसारी ने मारने का आरोप लगाया था। मीडिया से बातचीत के दौरान अफजाल ने कहा था कि मुख्तार को मारने की साजिश कई सालों से रची जा रही है। अफजाल ने कहा था कि एक बार गाजीपुर में ही बम बनाते समय विस्फोट हो गया, जिसमें एक मौत भी हो गई थी। दिल्ली पुलिस ने एक अपराधी को पकड़ा था, जिसने कबूल किया था कि उसे पांच करोड़ रुपये मुख्तार को उड़ाने के लिए दिए गए थे। इसके अलावा भी कई घटनाएं हैं, जिसमें मुख्तार को मारने की कोशिश की गई।

सांसद ने कहा था कि यह सब बृजेश सिंह को बचाने के लिए किया जा रहा है क्योंकि 2001 में उसरी चट्टीकांड में मुख्तार पर हुए हमले में बृजेश सिंह व त्रिभुवन सिंह के खिलाफ कोर्ट में मामला चल रहा है। इन लोगों को सजा न हो, इसके लिए घटना के 22 साल बाद मुख्तार और उस केस में शामिल गवाहों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। सरकार जानती है कि उसरी चट्टीकांड के केस में अगर बृजेश को बचाना है तो मुख्तार को खत्म करना होगा। मुकदमे में गवाही देने से पहले मुख्तार को मारने की साजिश है।

कोर्ट से अपनी जान की सुरक्षा की कई बार गुहार लगा चुका था मुख्तार

बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर गैंगेस्टर के कई मुकदमे चल रहे हैं। मुख्तार को हमेशा ही अपनी जान जाने का खतरा सताता रहता था। इसी के चलते वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी पर आता था। इस दौरान मुख्तार कोर्ट से जान का खतरा बताते हुए कई बार सुरक्षा की गुहार भी लगा चुका था। आठ दिन पहले बाराबंकी की एमपी एमएलए कोर्ट में माफिया मुख्तार अंसारी को पेश होना था, हालांकि वह पेश नहीं हुआ था। उसने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में पत्र दाखिल किया।

मुख्तार ने कोर्ट में दाखिल पत्र में अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था। मुख्तार ने कहा था कि जेल में उसे खाने में जहर देकर मारने का प्रयास किया गया है। जहर के कारण हालत काफी गंभीर है। पूरे शरीर के नसों में दर्द हो रहा है। बांदा जेल में जान का खतरा बताते हुए उसने मेडिकल बोर्ड का गठन कर बेहतर इलाज का अनुरोध किया था।

कोर्ट को दिए पत्र में लिखी थी जहर देने की बात

मुख्तार अंसारी ने अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन के माघ्यम से न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें कहा गया था कि बांदा जेल में बीते 19 मार्च को उसे जो भोजन दिया गया था, उसमें जहर मिला था। भोजन करने के बाद प्रार्थी की हालत बहुत ही खराब हो गई। हाथ पैर ही नहीं पूरे शरीर की नसों में दर्द है, ऐसा लगता है कि उसकी मृत्यु हो जाएगी। उसने कहा कि इस घटना के 40 दिन पहले भी उसे खाने में विषाक्त पद्वार्थ मिला कर दिया गया था। उसे जेल स्टाफ द्वारा खाना टेस्ट करके दिया जाता था। उक्त खाना खाने वाले जेल कर्मचारी भी बीमार हुए थे। मुख्तार ने बांदा जेल में जान का खतरा बताते हुए कहा था कि उसके साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है।

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