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DRDO को लंबी दूरी के मल्टीपल बैरल रॉकेट विकसित करने की अनुमति मिली, 350 किमी तक होगी मारक क्षमता

DRDO को लंबी दूरी के मल्टीपल बैरल रॉकेट विकसित करने की अनुमति मिली, 350 किमी तक होगी मारक क्षमता

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नई दिल्ली, 28 नवम्बर। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) भारतीय सेना की जरूरतों को देखते हुए एक खास प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसके तहत डीआरडीओ को भारतीय सेना के लिए लंबी दूरी के मल्टीपल बैरल रॉकेट (एमबीआरएल) विकसित करने का काम सौंपा गया है। नए रॉकेटों की मारक क्षमता 350 किमी तक होगी। ये मल्टीपल बैरल रॉकेट यदि सेना को मिल गए तो भारतीय सेना की मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

रक्षा और सैन्य मामलों से जुड़ी खबरों की वेबसाइट आईडीआरडब्ल्यू डॉट कॉम के अनुसार नए एमबीआरएल का विकास भारत की बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए किया जा रहा है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत चीन से बढ़ते तनाव को देखते हुए महसूस की जा रही है। भारतीय सेना संभावित खतरों को प्रभावी ढंग से रोकने और जवाब देने के लिए लंबी दूरी के रॉकेट की तलाश कर रही है। फिलहाल भारतीय सेना डीआरडीओ द्वारा ही विकसित किए गए पिनाका एमबीआरएल का प्रयोग कर रही है। लेकिन पिनाका की रेंज केवल 95 किमी है।

भारतीय सेना को संभावित खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए इससे भी अधिक दूरी तक मार करने वाले रॉकेटों की आवश्यकता है। जरूरतों को देखते हुए डीआरडीओ को 150 और 250 किमी की रेंज वाले दो नए निर्देशित रॉकेट विकसित करने की अनुमति दी गई है। यदि ये प्रोजेक्ट सफल रहा तो इन रॉकेट्स की मारक क्षमता 350 किमी तक बढ़ाई जाएगी।

सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया को भी 2 एमबीआरएल विकसित करने की अनुमति मिली है

निजी क्षेत्र की कम्पनी सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया को भी दो लंबी दूरी के मल्टीपल बैरल रॉकेट विकसित करने की अनुमति मिली है। इनके नाम महेश्वरास्त्र-1 और महेश्वरास्त्र-2 होंगे। महेश्वरास्त्र-1 की रेंज 150 किमी होगी, जबकि महेश्वरास्त्र-2 की रेंज 290 किमी होगी।

इन नए रॉकेटों का विकास अगले वर्ष के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। विकसित होने के बाद भारतीय सेना उन्हें सेवा में शामिल करने से पहले व्यापक परीक्षण और मूल्यांकन करेगी। इन लंबी दूरी की एमबीआरएल का विकास भारत की रक्षा क्षमताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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