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उत्तर प्रदेश : रेलवे ने वाराणसी को दी सौगात, मंडुवाडीह स्टेशन अब ‘बनारस’ के नाम से जाना जाएगा

उत्तर प्रदेश : रेलवे ने वाराणसी को दी सौगात, मंडुवाडीह स्टेशन अब ‘बनारस’ के नाम से जाना जाएगा

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वाराणसी 15 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक दिवसीय वाराणसी दौरे की पूर्व संध्या पर बुधवार को भारतीय रेलवे ने भी काशीवासियों को बहुप्रतीक्षित सौगात दे दी और मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलकर ‘बनारस’ कर दिया। बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) के निकट पूर्वोत्तर रेलवे के अंतर्गत आने वाले इस स्टेशन के प्‍लेटफार्म से लेकर मुख्य भवन पर बनारस के नाम का बोर्ड भी लग गया। नए बोर्ड पर हिन्दी, संस्‍कृत, अंग्रेजी और उर्दू में बनारस लिख दिया गया है।

स्टेशन का नाम बदलने की लंबे समय से की जा रही थी मांग

गौरतलब है कि मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस किए जाने की मांग लंबे समय से लंबित थी। इस पर विचार के बाद केंद्र सरकार ने नाम परिवर्तन को स्वीकृति दी थी। इसी क्रम में कुछ माह पूर्व केंद्रीय गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय ने मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदले का फैसला किया था। इस संबंध में सरकार के कई स्तरों पर जरूरी कार्यवाही पूरी की जा रही थी।

संस्कृत में भी लिखा गया नाम, स्टेशन का नया कोड BSBS

अंततः स्टेशन का नाम मंडुवाडीह के स्थान पर बनारस करने की स्वीकृति रेलवे बोर्ड से मिलते ही नाम बदलने का काम भी कर दिया गया। अब इस स्टेशन का नाम हिन्दी में बनारस और अग्रेजी में BANARAS होगा। इस स्टेशन का कोड BSBS मिला है। इसके साथ ही काशी के विद्वत जनों की मांग पर इस स्टेशन की नाम पट्टिका पर संस्कृत में भी इसका नाम (बनारसः) अंकित किया गया है। बुधवार मध्यरात्रि 12 बजे के बाद यानी गुरवार, 15 जुलाई से इस स्टेशन से जारी होने वाले टिकटों पर भी स्टेशन का नाम बनारस एवं स्टेशन कोड BSBS अंकित कर दिया गया।

शहर में पहले से हैं वाराणसी, काशी व वाराणसी सिटी के नाम से तीन अन्य स्टेशन

ज्ञातव्य है कि वाराणसी के साथ ही काशी और बनारस भी क्षेत्रीय लोकाचार की भाषा में प्रसिद्ध है। यहां पहले से वाराणसी, काशी और वाराणसी सिटी के नाम से तीन स्टेशन हैं। लेकिन बनारस के नाम से कोई स्टेशन नहीं था। पिछले कुछ वर्षों में शहर के बीच स्थित मंडुवाडीह स्टेशन को नई साज सज्जा मिली तो इसका नाम बनारस करने की मांग उठने लगी।

अत्याधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस से बनारस स्टेशन

मंडुवाडीह स्टेशन को किसी हवाई अड्डे की तरह बनाया गया है। यहां यात्रियों को लिए भी काफी अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। प्लेटफार्म तक कार व अन्य वाहनों को ले जाने की भी सुविधा है। नए रूपांतरित स्टेशन में विशाल प्रतिक्षालय क्षेत्र, विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय, उच्च श्रेणी यात्री विश्रामालय, एस्केलेटर सीढियां, लिफ्ट्स, फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, वी आई पी लाउन्ज, पार्किंग, सेल्फी पॉइंट,राष्ट्रीय ध्वज, धरोहर के रूप में छोटी लाइन का इंजन, विस्तृत ग्रीन और स्वच्छ सर्कुलेटिंग एरिया, आधुनिक बुकिंग आरक्षण कार्यालय, फूड कोर्ट, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण वेटिंग रूम और बहुत कुछ है।

स्टेशन में एसी लाउंज, गैर-एसी रिटायरिंग रूम और डॉर्मिटरी भी हैं। स्टेशन परिसर की वास्तुकला काशी की आस्था को दर्शाती है। स्टेशन के परिवेश में फव्वारे और बैठने की जगह शामिल है। इस स्टेशन को उन्नत यात्री सुविधाओं के रख-रखाव के लिए आई एस ओ सर्टिफिकेशन एवं साफ- सफाई एवं कुशल प्रबंधन के लिए 5 एस सर्टिफिकेशन भी प्राप्त है।

पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने दिया था स्टेशन को नया स्वरूप

स्मरण रहे कि पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा ने अपने कार्यकाल में इस स्टेशन को नया स्वरूप दिया था। उनकी पहल से आज स्टेशन का कायाकल्प नजर आता है। उन्ही के कार्यकाल में स्टेशन का नाम बदलने की भी पहल हुई थी। हालांकि नाम को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने के चलते यात्री और सैलानियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी काशी में होने के बावजूद अंतराष्ट्रीय पटल पर लोग मंडुवाडीह स्टेशन के नाम से अनजान थे। अमूमन नाम को लेकर भ्रमवश यात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ता था। ऑनलाइन रेलवे टिकट बुकिंग में भी उन्हें परेशानी होती थी। अब जनपद के समानांतर मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलने से कोई कठिनाई नहीं होगी।

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