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अयोध्या में राम मंदिर का गर्भगृह बनकर तैयार, काशी के विद्वान करेंगे मूर्ति का चयन

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लखनऊ, 9 दिसम्बर। अयोध्या में निर्माणाधीन भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के प्रथम तल का काम लगभग पूरा हो चला है। मंदिर के गर्भगृह का कार्य भी अपने अंतिम चरण में है। शनिवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोशल मीडिया पर मंदिर के गर्भगृह की तस्वीरें शेयर कर दावा किया कि प्रभु श्री रामलला का गर्भगृह स्थान बनकर लगभग तैयार है।

रामनगरी को भव्य रूप में सजाने में जुटी है योगी सरकार

मंदिर के गर्भगृह परिसर में लाइटिंग-फिटिंग का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार भी मुस्तैदी से राम जन्मभूमि मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पहले रामनगरी अयोध्या को भव्य रूप में सजाने में जुटी है, जिसके चलते श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को जोड़ने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर रामायण काल के प्रमुख प्रसंगों का मनमोहक चित्रण कराया जाने लगा है।

मंदिर के सभी प्रमुख मार्गों की दीवारों को कलाकृतियों से सजाने की प्रक्रिया शुरू

अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की ओर जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों की दीवारों को टेराकोटा फाइन क्ले म्यूरल कलाकृतियों से सजाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एडीए के अधिकारियों का दावा है कि अगले वर्ष 22 जनवरी के पहले श्री राम जन्मभूमि मंदिर को जोड़ने वाले सभी प्रमुख मार्गों (धर्म पथ आदि) पर रामायण काल के प्रमुख प्रसंगों का मनमोहक चित्रण दिखाई देने लगेगा।

रामलला की अचल मूर्ति का चयन भी इसी माह कर लिया जाएगा

इसके साथ ही राम जन्मभूमि परिसर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली रामलला की अचल मूर्ति का चयन भी इसी माह कर लिया जाएगा। भगवान रामलाल की तीन मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। एडीए के अधिकारियों के अनुसार, काशी के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती तथा काशी के ही प्रसिद्ध विद्वान गणेश्वर द्रविड़ और दक्षिण भारत के कुछ प्रमुख संतों की सहमति के बाद प्राण प्रतिष्ठा के लिए तीन मूर्तियों में से एक का चयन किया जाएगा।

22 जनवरी दो मूर्तियों (चल और अचल) की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में अगले वर्ष 22 जनवरी दो मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है। एक अचल मूर्ति और दूसरी चल मूर्ति के रूप में स्थापित होगी। वर्तमान में पूजित-प्रतिष्ठित रामलला की मूर्ति को उत्सव यानी चल मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा, जबकि नई मूर्ति को अचल मूर्ति के रूप में स्थापित किया जाएगा।

अयोध्या में बन रहीं तीन मूर्तियां

श्री राम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित की जाने वाली अचल मूर्ति का निर्माण रामसेवक पुरम स्थित कार्यशाला में किया जा रहा है। कुल तीन मूर्तिकार तीन मूर्तियां बना रहे हैं। कर्नाटक से आई श्याम शिला पर दो मूर्तियां बन रही हैं जबकि एक मूर्ति राजस्थान के संगमरमर पत्थर पर बनाई जा रही हैं। तीनों मूर्तियों का निर्माण कार्य करीब-करीब पूरा हो चुका है। इनमें से सर्वोत्तम मूर्ति का चयन किया जाना है।

आईआईटी हैदराबाद की गुणवत्ता जांच रिपोर्ट के आधार पर होगा मूर्ति का चयन

आईआईटी हैदराबाद द्वारा तीनों मूर्तियों के पत्थरों की गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट के आधार पर मूर्ति का चयन होना है। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के पदाधिकारियों के मुताबिक आईआईटी हैदराबाद की रिपोर्ट यह बताएगी कि रामलला की बनाई गई तीनों मूर्तियों में किस पत्थर की सबसे लंबी आयु है और पत्थर की चमक कितने वर्षों तक बरकरार रहेगी। मूर्ति की रोजाना पूजा-अर्चना श्रृंगार आदि होगा, ऐसे में चंदन, तिलक आदि लगाए जाएंगे तो मूर्ति पर दाग या निशान तो नहीं बनेंगे।

मूर्ति पर प्रकाश फैलाने पर तीनों में से कौन सी मूर्ति सबसे भव्य व आकर्षक दिखेगी, चूंकि रामलला की मूर्ति बालक रूप में होगी, इसलिए बालसुलभ कोमलता किस मूर्ति में ज्यादा झलकेगी। इन सभी का ध्यान रखकर मंदिर में स्थापित की जाने वाली मूर्ति का चयन किया जाएगा। इसके लिए काशी के शंकराचार्य समेत दक्षिण के संतों की सहमति ली जाएगी। यह कार्य इसी माह पूरा किया जाएगा।