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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला : सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अदालत में पेश होने का दिया आदेश

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नई दिल्ली, 19 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेदिक दवाओं सहित अन्य हर्बल उत्पाद बनाने वाली कम्पनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव को नोटिस जारी कर उन्हें अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है। शीर्ष अदालत ने स्वामी रामदेव से पूछा है कि आखिर उनके खिलाफ अवमानना की काररवाई क्यों न शुरू की जाए?

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘आपने अब तक जवाब दाखिल क्यों नहीं किया है? अब हम आपके मुवक्किल को अदालत में पेश होने के लिए कहेंगे। हम रामदेव को भी पक्षकार बनाएंगे। रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को अदालत में पेश होना होगा। हम मामले की सुनवाई टालने नहीं जा रहे हैं। ये बात बिल्कुल साफ है।’

शीर्ष अदालत ने आयुष मंत्रालय को भी लगाई फटकार

अदालत ने इसके साथ ही केंद्रीय आयुष मंत्रालय को भी फटकार लगाते हुए कहा कि एक दिन पहले क्यों जवाब दाखिल किया? इस पर केंद्र ने अदालत को बताया कि उन्हें समुचित जवाब देने के लिए और समय चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पतंजलि के प्रबंध निदेशक को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश होना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने स्वामी रामदेव को भी नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न कोर्ट की अवमानना के तहत मुकदमा चलाया जाए।

कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को पहले भेजी थी अवमानना नोटिस

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन के मामले में पतंजलि आयुर्वेद को कोर्ट की अवमानना की नोटिस जारी की थी। नोटिस पतंजलि आयुर्वेद के अलावा आचार्य बालकृष्ण को भी दी गई थी, जिसमें तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन इसका जवाब नहीं दिया गया था।

पतंजलि के उत्पादों को लेकर फटकार भी लगा चुका है कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के उत्पादों को लेकर इससे पहले फटकार भी लगा चुका है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए आलोचना भी की थी। पिछले वर्ष कोर्ट ने कम्पनी को विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। नवम्बर महीने में ही कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि यदि आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो जांच के बाद कम्पनी के तमाम प्रोडक्ट्स पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

आईएमए ने पतंजलि के खिलाफ दायर कर रखी है याचिका

गौरतलब है कि इंडियन मोडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों को भ्रामक बताते हुए याचिका दायर की थी। आईएमए का आरोप है कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए।

आईएमए की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है। आईएमए ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कम्पनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।