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असम-मिजोरम सीमा पर खूनी हिंसा में छह जवान शहीद, सीआरपीएफ की दो कम्पनियां तैनात

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गुवाहाटी, 27 जुलाई। असम-मिजोरम के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर सोमवार को हुई खूनी हिंसा में असम पुलिस के छह जवान शहीद हो गए और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। इस घटना से क्षेत्र में उपजे तनाव को देखते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दो कम्पनियां तैनात कर दी गई हैं।

गौर करने वाली बात तो यह है कि दोनों राज्य सरकारें इस घटना के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की। इसके बाद शाह ने सोमवार को देर रात दोनों मुख्यमंत्रियों से टेलीफोन पर बातचीत कर विवादित सीमा क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने और मैत्रीपूर्ण ढंग से समाधान निकालने को कहा।

विवादित स्थल पर बढ़ाई गई सीआरपीएफ की सक्रियता

क्षेत्र में तनाव को देखते हुए सीआरपीएफ ने असम और मिजोरम के बीच लैलापुर-वैरेंगटे विवादित स्थल पर दो कम्पनियां तैनात कर दी हैं। असम में सीआरपीएफ की 119 बटालियन और मिजोरम में 225 बटालियन लगाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, सीआरपीएफ की कम्पनियां असम और मिजोरम में पहले से ही तैनात थीं, लेकिन अब उनकी सक्रियता बढ़ा दी गई है।

इस बीच असम सरकार ने खूनी संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले असम पुलिस के जवानों के सम्मान में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। असम सरकार का दावा है कि उनके हमले में उसके छह जवान मारे गए जबकि 50 से अधिक घायल हुए हैं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने खूनी संघर्ष में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि दी और पार्थिव शरीर को नमन किया। इसके पूर्व मंगलवार की सुबह सिल्चर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल जाकर उन्होंने इलाजरत पुलिस जवानों से मुलाकात कर उनका हाल चाल लिया। उन्होंने डॉक्टरों को घायल जवानों का सर्वोत्तम इलाज सुनिश्चित करने और गंभीर रूप से घायल जवानों को एयर एंबुलेंस से उच्चस्तरीय इलाज के लिए अन्यत्र भेजे जाने का निर्देश दिया।

हिमंत का आरोप – असम के जवानों की मौत पर मिजोरम के उपद्रवियों व जवानों ने जश्न मनाया

असम-मिजोरम सीमा पर हिंसा के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच ट्विटर पर भी जंग देखने को मिली। हिमंत ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि असम के पुलिसकर्मियों की मौत के बाद मिजोरम के उपद्रवियों और जवानों ने जश्न मनाया।

दूसरी तरफ मिजोरम के सीएम जोरामथांगा ने आरोप लगाया कि असम की तरफ से फायरिंग हुई और ग्रेनेड फेंके गए जोरामथांगा ने कहा, ‘करीब असम के 200 पुलिसकर्मी बॉर्डर पार करके आए और मिजोरम की तरफ सीआरपीएफ पोस्ट को रौंद दिया। असम की तरफ से फायरिंग की शुरुआत हुई। उन्होंने ग्रेनेड फेंके और मशीन गन का इस्तेमाल किया।’

असम के मंत्री ने जलियांवाला कांड से की घटना की तुलना

असम के मंत्री परिमल सुकलाबैद्य ने कहा, ‘सीमा विवाद में हमारे छह जवान मारे गए। असम की तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई। हमारे जवान शांत थे। फायरिंग मिजोरम की तरफ से हुई, ठीक वैसे ही जैसे ब्रिटिश पुलिस ने जलियांवाला बाग में किया था।’

इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना भी साधना शुरू कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि भाजपा की निगरानी में लगातार इस प्रकार की घटनाओं ने भारत में लोकतंत्र की मौत को आमंत्रित किया है। तृणमूल के राष्ट्रीय सचिव ने ट्वीट किया, ‘मैं असम-मिजोरम सीमा पर हुई निर्मम हिंसा का समाचार सुनकर स्तब्ध हूं। मैं शोकसंतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। भाजपा की निगरानी में लगातार इस प्रकार की घटनाओं ने भारत में लोकतंत्र की मौत को आमंत्रित किया है।’

उधर लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा, ‘मैंने स्थगन प्रस्ताव नोटिस दे दिया है। साथ ही गृह मंत्री अमित शाह को अलग से पत्र लिखकर जांच की मांग की है।’

कांग्रेस ने इस विवाद के आकलन के लिए असम सात सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है। यह टीम काछर और अन्य इलाकों में जाएगी, जहां हिंसा भड़की। असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा कमेटी की अगुआई करेंगे।