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राज्यसभा के सभापति ने बजट सत्र से पहले 11 विपक्षी सांसदों का निलंबन रद किया

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नई दिल्ली, 30 दिसम्बर। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन 11 विपक्षी सांसदों का निलंबन रद कर दिया है, जिन्हें हाउस पैनल ने विशेषाधिकार हनन का दोषी ठहराया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विशेषाधिकार समिति ने कथित तौर पर राज्यसभा के सभापति से सिफारिश की है कि सदस्यों द्वारा पहले ही झेली गई निलंबन की अवधि को अपराध के लिए ‘पर्याप्त सजा’ के रूप में माना जाए। हालांकि निलंबित सदस्य बुधवार को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के विशेष संबोधन में शामिल नहीं हो पाएंगे।

जिन 11 सांसदों को ‘विशेषाधिकार के उल्लंघन और राज्य परिषद की अवमानना का दोषी’ ठहराया गया है, उनमें कांग्रेस के जेबी माथेर, एल हनुमंतैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर और जीसी चंद्रशेखर, सीपीआई के बिनॉय विश्वम और संदोश कुमार पी, डीएमके के मोहम्मद अब्दुल्ला, सीपीआईएम के जॉन ब्रिटास और एए रहीम शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि हंगामेदार शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों से कम से कम 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था, जिसमें भारी किलेबंदी वाली इमारत की सुरक्षा में भारी चूक देखी गई। इनमें 132 सांसदों का निलंबन 29 दिसम्बर को समाप्त हो गया था, जब दोनों सदनों का सत्रावसान कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ दंडात्मक काररवाई केवल सत्र के लिए वैध थी। हालांकि, आम चुनाव से पहले संक्षिप्त बजट सत्र में तीन लोकसभा सदस्यों सहित शेष 14 सांसदों की भागीदारी अनिश्चित रही।

मामले से वाकिफ पार्टी के एक नेता के मुताबिक, राज्यसभा से निलंबित 11 सांसदों ने संयुक्त रूप से सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर उनसे अपने निलंबन की समीक्षा करने का अनुरोध किया। सूत्रों के अनुसार, ‘उन्होंने यह भी बताया कि अध्यक्ष को सांसदों को निलंबित करने से पहले निलंबन के नियमों और परिस्थितियों दोनों को ध्यान में रखना चाहिए था। नियम 256 के अनुसार, अध्यक्ष किसी सदस्य को सत्र के शेष समय से अधिक की अवधि के लिए परिषद की सेवा से निलंबित कर सकता है।’