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सिद्धारमैया की ‘नीच’ टिप्पणी पर प्रह्लाद जोशी का पलटवार – कांग्रेस को पीएम मोदी की कुर्सी से होती है ‘जलन’

सिद्धारमैया की ‘नीच’ टिप्पणी पर प्रह्लाद जोशी का पलटवार – कांग्रेस को पीएम मोदी की कुर्सी से होती है ‘जलन’

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हुबली, 7 सितम्बर। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया  की ‘नीच’ टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पलटवार किया है। इस क्रम में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को कहा कि सिद्धारमैया और कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ बोलने का प्रयास किया है। कांग्रेस को मोदी की कुर्सी से जलन होती है। उन्हें लगता है कि यह कुर्सी गांधी परिवार की है।

प्रह्लाद जोशी ने कहा, “सिद्धारमैया और कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘नीच’ कहने का प्रयास किया है। इससे पहले भी मणिशंकर अय्यर ने ऐसा कहा था। चूंकि पीएम मोदी गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं, इसलिए कांग्रेस पार्टी को पीएम मोदी की कुर्सी से जलन होती है। उन्हें लगता है कि यह गांधी परिवार की है।”

चावल आपूर्ति के मुद्दे पर जोशी ने कहा, “पूरा देश सूखे की स्थिति से जूझ रहा है। हमारे पास चावल का स्टॉक कम है। इसलिए हमने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। चावल की कीमत बढ़ रही है। कई भाजपा शासित राज्य भी चावल की मांग कर रहे हैं। लेकिन अभी हमारे पास चावल नहीं है। कांग्रेस द्वारा इस्तेमाल किया गया ‘नीच’ शब्द उनके ‘घमंड’ का उदाहरण है।”

सिद्धारमैया का मोदी सरकार पर हमला – भाजपानीच, गरीब विरोधी और अमानवीय

गौरतलब है कि कर्नाटक को चावल आपूर्ति को लेकर सिद्धारमैया ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उसे ‘नीच, गरीब विरोधी और अमानवीय’ करार दिया। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक के लोगों को चावल देने से इनकार कर दिया।

सिद्धारमैया ने कहा, ‘चुनाव से पहले मैंने कहा था कि मैं राज्य के लोगों को जो मिल रहा है, उससे पांच किलो अतिरिक्त चावल दूंगा क्योंकि पिछली सरकार ने मुफ्त चावल घटाकर सिर्फ पांच किलो कर दिया था। हमने भारतीय खाद्य निगम को उनसे चावल खरीदने के लिए लिखा। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे चावल उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। लेकिन केंद्र ने हमें चावल देने से इनकार कर दिया। क्या भाजपा गरीबों की समर्थक है? नहीं, वे नहीं हैं।’

उन्होंने कहा, “हमने मुफ्त में चावल नहीं मांगा। हम इसके लिए भुगतान करने को तैयार थे। हम चावल के लिए 36 रुपये प्रति किलोग्राम देने को तैयार थे। आप सभी को तय करना होगा कि वे कितने ‘नीच’ हैं। वे गरीब विरोधी हैं। वे अमानवीय हैं…”

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