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‘स्टार्ट-अप महाकुंभ’ में पीएम मोदी ने राहुल पर कसा तंज, बोले – राजनीति में कुछ को बार-बार करना पड़ता है लॉन्च

‘स्टार्ट-अप महाकुंभ’ में पीएम मोदी ने राहुल पर कसा तंज, बोले – राजनीति में कुछ को बार-बार करना पड़ता है लॉन्च

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नई दिल्ली, 20 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि राजनीति में कुछ को बार-बार लॉन्च करने की जरूरत पड़ती है जबकि स्टार्ट-अप की दुनिया में जब कोई एक बार असफल होता है तो दूसरा रास्ता अख्तियार कर लेता है।

पीएम मोदी ने यहां भारत मंडपम में आयोजित स्टार्ट-अप महाकुंभ में किसी का नाम लिए बिना स्टार्ट-अप और राजनीति की तुलना करते हुए कहा, ‘स्टार्ट-अप लॉन्च तो बहुत लोग करते हैं, राजनीति में तो ज्यादा… और बार-बार लॉन्च करना पड़ता है। लेकिन आप में और उनमें फर्क ये है कि आप लोग प्रयोगशील होते हैं, एक अगर लॉन्च नहीं हुआ तो तुरंत दूसरे पर चले जाते हैं।’

लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का विश्वास जताया

प्रधानमंत्री ने लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने और एक अप्रैल, 2024 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए पूर्ण बजट पेश करने का विश्वास जताया। उन्होंने कहा कि सामान्य स्थिति में कारोबारी चुनाव संपन्न होने तक बड़े आयोजनों को टाल देते हैं, लेकिन आम चुनावों की घोषणा के कुछ दिन बाद तीन दिवसीय महाकुंभ में स्टार्ट-अप उद्यमियों और उस पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े लोगों का विशाल जमावड़ा आने वाली चीजों का संकेत है।

भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र है

पीएम मोदी ने 19 अप्रैल से चार जून तक होने वाले आम चुनावों के बाद भी शासन में बने रहने का विश्वास जताते हुए कहा, ‘आप जानते हैं कि अगले पांच साल में क्या होने जा रहा है। 2014 में जहां 100 से भी कम स्टार्ट-अप थे, वहीं अब देश में 1.25 लाख पंजीकृत स्टार्ट-अप हैं और 12 लाख युवा उनसे सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र है… हमारे पास 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।’

उन्होंने कहा कि भारतीय स्टार्ट-अप ने 12,000 से अधिक पेटेंट दायर किए हैं, लेकिन अब भी कई ऐसे हैं, जो पेटेंट के महत्व को समझ नहीं पाए हैं। उन्होंने तेजी से आगे बढ़ती दुनिया का हवाला देते हुए उद्यमियों और नवोन्मेषकों से पेटेंट के लिए आवेदन करने का आह्वान किया।

पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था, जब शिक्षा का मतलब नौकरी था और सरकारी नौकरी का मतलब होता था कि वह व्यक्ति जीवन में सफल हो गया है। उन्होंने देश में चल रही स्टार्ट-अप क्रांति का हवाला देते हुए कहा, ‘यह मानसिकता बदल गई है। पहले नवोन्मेषकों के विचार तो होते थे, लेकिन फंडिंग के बारे में वह चिंतित रहते थे और साथ ही यह माना जाता था कि पैसे वाले लोग ही व्यवसाय कर सकते हैं। स्टार्ट-अप (संस्कृति) ने उस मानसिकता और सोच को तोड़ दिया है … इस तरह क्रांतियां होती हैं … युवाओं ने नौकरी चाहने वालों की तुलना में नौकरी देने वाला बनने का विकल्प चुना है।’

देश के युवाओं ने साबित की है अपनी क्षमता

उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसे कार्यक्रमों के समर्थन से देश के युवाओं ने अपनी क्षमता साबित की है। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास हमेशा एक क्षेत्र की क्षमता को सामने लाने का रहा है जबकि अतीत में सरकार का दृष्टिकोण पीछे हटने का होता था। उन्होंने कहा, ‘आज भारतीय स्टार्ट-अप अंतरिक्ष जैसे मोर्चे पर अच्छा काम कर रहे हैं। पहले से ही, हमारे स्टार्ट-अप इतने कम समय में अंतरिक्ष शटल लॉन्च कर रहे हैं।’

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