
प्रवासियों की वापसी पर अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर दागे सवाल – ‘विश्व गुरु होने का दावा करने वाले मौन..’
नई दिल्ली, 6 फरवरी। अमेरिका से 104 अवैध भारतीय प्रवासियों का यातनापूर्ण वापसी का मुद्दा गरमा उठा है। विपक्ष लगातार इस मामेल पर सरकार पर सवाल उठा रहा है और आज विपक्ष के जबर्दस्त हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही भी बाधित रही। वहीं सरकार की तरफ से विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सदन में इस मुद्दे पर जवाब देते हुए इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताया।
एक समाचार, जिस पर हमारे सवाल बिंदुवार :
– सवाल सिर्फ़ ये नहीं है कि अमेरिका ने हालात के मारे भारतीयों को दासों की तरह बेड़ियों में जकड़ा और अमानवीय परिस्थितियों में भारत भेजा…
– सवाल ये भी है कि ‘विश्व गुरु होने का दावा करनेवाले मौन क्यों हो गये?
– सवाल ये भी है कि हमारा…— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 6, 2025
इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बेड़ियों में जकड़कर भारतीयों की वापसी को अमानवीय बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट के जरिए सरकार पर कई सवाल दागे हैं। अखिलेश ने इस मामले पर सरकार से आठ सवाल पूछे हैं। उनके द्वारा पूछे गए सवाल कुछ इस तरह हैं..
- सवाल सिर्फ ये नहीं है कि अमेरिका ने हालात के मारे भारतीयों को दासों की तरह बेड़ियों में जकड़ा और अमानवीय परिस्थितियों में भारत भेजा।
- सवाल ये भी है कि ‘विश्व गुरु होने का दावा करनेवाले मौन क्यों हो गये?
- सवाल ये भी है कि हमारा विदेश मंत्रालय क्या कर रहा है?
- सवाल ये भी है कि महिलाओं और बच्चों को इन अपमानजनक परिस्थितियों से बचाने के लिए हमारी सरकार ने क्या किया?
- सवाल ये भी है कि क्या अपनी अमेरिकी यात्रा में माननीय प्रधानमंत्री जी ये मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाएंगे या नहीं?
- सवाल ये भी है कि देश में ऐसे हालात क्यों पैदा हो रहे हैं कि लोग विदेश जाने पर मजबूर हैं?
- सवाल ये भी है कि देश लौटने के बाद ऐसे लोगों के लिए सरकार का रुख क्या होगा?
- सवाल ये भी है जिन लाखों भारतीयों पर अमेरिका में आंच आ रही है, भारत सरकार उनके लिए क्या करेगी?
उन्होंने आगे यह भी कहा कि ‘प्रवासी भारतीय कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!’
विदेश मंत्री जयशंकर बोले – यह कोई नई प्रक्रिया नहीं
इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में डिपोर्टेशन के मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया है और यह कोई नई प्रक्रिया नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 से ही डिपोर्टेशन के तहत लोगों को मिलिट्री विमान से वापस भेजा जाता रहा है। विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इन नागरिकों के साथ कोई अनुचित व्यवहार नहीं किया गया और यात्रा के दौरान उन्हें टॉयलेट ब्रेक जैसी आवश्यक सुविधाएं दी गईं।