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मायावती का बड़ा फैसला : लोकसभा चुनाव से पहले भतीजे आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी के रूप में सौंपी BSP की कमान

मायावती का बड़ा फैसला : लोकसभा चुनाव से पहले भतीजे आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी के रूप में सौंपी BSP की कमान

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लखनऊ, 10 दिसम्बर। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ा फैसला किया और अपने उत्तराधिकारी के रूप में भतीजे आकाश आनंद को पार्टी की जिम्मेदारी सौंप दी। रविवार को लखनऊ में पार्टी की बैठक में यह घोषणा की गई।

आकाश आनंद को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा था, जो पार्टी नेता के रूप में बसपा अध्यक्ष का उत्तराधिकारी होगा। वह पिछले वर्ष से पार्टी मामलों के प्रभारी भी थे। 2016 में बसपा में शामिल होने के बाद आनंद को 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के स्टार प्रचारकों में से एक के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया था।

फिलहाल बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं आकाश आनंद

गौरतलब है कि आकाश आनंद फिलहाल बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं। उनकी पदोन्नति महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ महीने पहले हुई है। आकाश आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। वंशवाद की राजनीति की लगातार आलोचना करने के बावजूद मायावती ने 2019 में अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया जबकि उनके भतीजे आकाश को राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में नामित किया गया।

आकाश आनंद का राजनीतिक करिअर

28 वर्ष की उम्र में आकाश ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राजनीति में कदम रखा। वह मायावती और अन्य प्रमुख बसपा नेताओं के साथ कई तस्वीरों में दिखाई दिए। 31 वर्षीय आनंद ने डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती पर अलवर में 13 किलोमीटर की स्वाभिमान संकल्प यात्रा में भाग लिया। वह 2018 में राजस्थान में बसपा के चुनाव प्रचार में भी दिखाई दिए थे, जहां बसपा ने छह सीटें हासिल की थीं।

वर्ष 2012 से बसपा का राजनीतिक ग्राफ लगातार गिर रहा

मायावती 3 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995, 21 मार्च 1997 से 21 सितम्बर 1997, 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 के बीच चार बार और 13 मई 2007 से 15 मार्च 2012 के बीच पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। हालांकि तब से पार्टी अपना प्रदर्शन दोहराने में विफल रही क्योंकि 2012 के विधानसभा चुनावों में वह समाजवादी पार्टी से हार गई। उसके बाद से यूपी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।

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