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जातिगत जनगणना : केंद्र के हलफनामे पर लालू प्रसाद का हमला, बोले – मोदी सरकार का बहिष्कार होना चाहिए

जातिगत जनगणना : केंद्र के हलफनामे पर लालू प्रसाद का हमला, बोले – मोदी सरकार का बहिष्कार होना चाहिए

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पटना, 24 सितम्बर। केंद्र सरकार की ओर से जातिगत जनगणना मसले पर सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार तक सियासी पारा चढ़ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने एक ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर हमला करते हुए लोगों से अपील की है कि ऐसी सरकार का बहिष्कार होना चाहिए। वहीं कांग्रेस और हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष और सत्तारूढ़ जदयू सरकार में भागीदार जीतन राम मांझी ने भी केंद्र के हलफनामे पर सवाल उठाया है।

लालू प्रसाद ने जातीय जनगणना को केंद्र की ओर से नकारे जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि भाजपा और आरएसएस पिछड़ा/अतिपिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा छल कर रहे हैं। अगर केंद्र सरकार जनगणना फार्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़ कर देश की कुल आबादी के 60 फीसदी से अधिक लोगों की जातीय गणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने गए सांसदों व मंत्रियों पर धिक्कार है। ऐसे लोगों का सामूहिक सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए।

भाजपा और आरएसएस के लोगों को पिछड़ों/अति पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा, ‘जनगणना में सांप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएंगे, लेकिन पिछड़े-अति पिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। वाह क्या बात है?’  उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा और आरएसएस के लोगों को पिछड़ों/अति पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों है? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा। इससे सबकी वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार : मांझी

दूसरी तरफ हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामा के आधार पर केंद्र की नीयत पर सवालिया निशान लगाया है।

जातीय जनगणना के लिए केंद्र से फिर अनुरोध करेंगे

मांझी ने कहा, ‘सर्वदलीय बैठक में जातीय जनगणना कराने पर सहमति बन गई थी तो फिर हलफनामा निर्णय के अनुरूप क्यों नहीं दिया गया। हम केंद्र सरकार से फिर अनुरोध करेंगे कि वह एक बार फिर इस पर विचार करें।’

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