1. Home
  2. हिंदी
  3. राजनीति
  4. राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ केस में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, सजा पर लगी रोक, लोकसभा सदस्यता बहाल
राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ केस में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, सजा पर लगी रोक, लोकसभा सदस्यता बहाल

राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ केस में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, सजा पर लगी रोक, लोकसभा सदस्यता बहाल

0
Social Share

नई दिल्ली, 4 अगस्त। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिली, जब शीर्ष अदलत ने मोदी उपनाम को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी के संबंध में 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में उऩकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी और उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी।

न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टिप्पणी उचित नहीं थी और सार्वजनिक जीवन में भाषण देते समय एक व्यक्ति से सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। पीठ ने कहा, ‘निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, ऐसे में अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।’

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पीठ गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम’ से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

गौरतलब है कि गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। राहुल ने सभा में टिप्पणी की थी कि ‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?’

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा -निचली अदालत ने अधिकतम सजा ही क्यों दी?

केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘हम यह जानना चाहते हैं कि अधिकतम सजा ही क्यों दी गई। यदि जज ने एक साल और 11 महीने की भी सजा दी होती तो वह अयोग्य घोषित न होते।’ इस पर पूर्णेश मोदी के वकील ने कहा कि ऐसी सजा शायद इसलिए दी गई क्योंकि राहुल गांधी को पहले ही हिदायत दी गई थी, लेकिन उनके बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि इस केस में एक दिन की भी कम सजा होती तो राहुल गांधी सांसद रहते।

बेंच बोली – लोकसभा क्षेत्र की जनता भी प्रभावित हुई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला किसी एक शख्स का नहीं है बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र का है। कैसे उन्हें उनके नुमाइंदे से वंचित किया जा सकता है।

राहुल के वकील की दलील – कोई मर्डर या रेप थोड़ी किया था

वहीं राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह कोई मर्डर, रेप या अगवा करने का केस थोड़ी है, जिसे जज ने गंभीर माना था। सिंघवी ने कहा, ‘राहुल गांधी कोई बहुत बड़े अपराधी नहीं है। उन पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने बहुत केस कराए हैं, लेकिन किसी में भी उन्हें दोषी नहीं पाया गया। पहले ही राहुल गांधी इस मामले के चलते संसद के दो सदन में नहीं जा सके हैं।’

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code