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ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन की अमेरिकी यात्रा से नाराज चीन ने फिर किया शक्ति प्रदर्शन

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन की अमेरिकी यात्रा से नाराज चीन ने फिर किया शक्ति प्रदर्शन

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ताइपे, 10 अप्रैल। ताइवान की राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा के बाद चीन की सेना ने एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन करते हुए कई दर्जन लड़ाकू विमान और 11 युद्धपोत ताइवान की ओर भेजे। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। चीन की सेना ने इससे पहले ‘‘लड़ाई की तैयारी के लिए तीन दिवसीय गश्त ’’ की घोषणा की थी। यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब चीन के आक्रामक रवैये के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधिसभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की मेजबानी की।

ताइवान में अमेरिकी कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी साई के लौटने के बाद सप्ताहांत को उनसे मुलाकात की। चीन ने मैक्कार्थी के साथ मुलाकात के खिलाफ साई की अमेरिकी यात्रा से जुड़े लोगों के खिलाफ यात्रा तथा वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं और सैन्य गतिविधियों में वृद्धि की है।

ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रविवार सुबह छह बजे से सोमवार सुबह छह बजे के बीच कुल 70 विमानों की गतिविधियों का पता चला, जिनमें से आधों ने ताइवान जलडमरूमध्य के मध्य रेखा को पार किया । चीन और ताइवान के बीच एक सहमति के अनुसार यह एक अनौपचारिक सीमा है। मध्य रेखा पार करने वाले विमानों में आठ जे-16 लड़ाकू विमान, चार जे-1 लड़ाकू विमान, आठ एसयू-30 लड़ाकू विमान और टोही विमान शामिल थे।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह ‘‘ संघर्ष को न बढ़ाने, और विवादों का कारण नहीं बनने’’ के नजरिए के साथ स्थिति का सामना कर रहे हैं। ताइवान ने कहा कि वह अपनी भूमि आधारित मिसाइल प्रणालियों के साथ-साथ अपनी नौसेना के जहाजों के माध्यम से चीन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं।

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की हालिया अमेरिका यात्रा से नाराज चीन ने शनिवार को भी ताइवान जलडमरूमध्य की तरफ युद्धपोत और दर्जनों लड़ाकू विमान भेजे थे। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ताइवान के पास शनिवार को आठ युद्धपोत और 71 विमान देखे गए, जिनमें से 45 ने जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया। गौरतलब है कि चीन सरकार दावा करती है कि ताइवान उसके राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा है, जबकि ताइवान की वर्तमान सरकार का कहना है कि यह स्वशासित द्वीप पहले से ही संप्रभु है और चीन का हिस्सा नहीं है।

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