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बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा, देशभर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू, 72 से ज्यादा लोगों की मौत

बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा, देशभर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू, 72 से ज्यादा लोगों की मौत

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ढाका, 4 अगस्त। बांग्लादेश में आरक्षण विरोध को लेकर एक रविवर को बार फिर हिंसा भड़क उठी है। मीडिया की खबरों के अनुसार प्रदर्शनकारी छात्रों की पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं की बीच संघर्षों में 14 पुलिसकर्मियों सहित 72 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।

प्रदर्शनकारी कर रहे पीएम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग

प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। स्थिति नियंत्रण से बाहर होते देख हसीना सरकार ने रविवार शाम छह बजे से अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा कर दी। पिछले महीने शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पहली बार सरकार ने देशव्यापी कर्फ्यू घोषित किया है।

देशभर में कम से कम 200 लोगों की मौत

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में छात्र सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग को लेकर एक माह से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों के इस आंदोलन में पहले भी हिंसा भड़क चुकी है और अब तक देशभर में कम से कम 200 लोगों की मौत हो चुकी है।

टैक्स और बिलों का भुगतान न करने की अपील

देश में फैली ताजा हिंसक घटनाओं में प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी द्वारा समर्थित कुछ समूह भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने टैक्स और बिल भुगतान न करने की अपील की है और साथ ही रविवार को काम पर न जाने की अपील की थी।

प्रदर्शनकारियों ने रविवार को खुले कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर भी हमला किया, जिसमें ढाका के शाहबाग इलाके में एक अस्पताल, बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी भी शामिल है। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि ढाका के उत्तरा इलाके में कुछ कच्चे बम विस्फोट किए गए और गोलियों की आवाज सुनी गई।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में आग भी लगा दी। ढाका के मुंशीगंज जिले के एक पुलिसकर्मी ने मीडिया को बताया कि पूरा शहर युद्ध के मैदान में बदल गया है। विरोध करने वाले नेताओं ने आंदोलनकारियों से खुद को बांस की लाठियों से लैस करने का आह्वान किया था, क्योंकि जुलाई में विरोध प्रदर्शन के पिछले दौर को पुलिस ने बड़े पैमाने पर कुचल दिया था।

सरकारी नौकरियों में आरक्षण कोटा घटाने के बावजूद प्रदर्शन जारी

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की कोटा प्रणाली को लेकर पिछले महीने विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। प्रदर्शन तेज हुए तो सुप्रीम कोर्ट ने कोटा घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया, जिसमें से 3 प्रतिशत सेनानियों के रिश्तेदारों को दिया गया। हालांकि, विरोध प्रदर्शन जारी रहा और प्रदर्शनकारियों ने अशांति को दबाने के लिए सरकार द्वारा कथित अत्यधिक बल के इस्तेमाल के लिए जवाबदेही की मांग की।

पीएम शेख हसीना ने विपक्षी दलों को ठहराया जिम्मेदार

इस बीच शेख हसीना सरकार ने हिंसा भड़काने के लिए विपक्षी दलों और अब प्रतिबंधित दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी और उनकी छात्र शाखाओं को दोषी ठहराया है। राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक के बाद हसीना ने आरोप लगाया, ‘जो लोग अभी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे छात्र नहीं हैं बल्कि आतंकवादी हैं, जो देश को अस्थिर करना चाहते हैं।’ उन्होंने देशवासियों से इन आतंकवादियों को सख्ती से दबाने की अपील की।

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