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बीआरएस नेता केटी रामा राव  का पीएम मोदी पर पटलवार – वो भाजपा ही थी,जिसने 2018 में गठबंधन के लिए संदेश भेजा था

बीआरएस नेता केटी रामा राव  का पीएम मोदी पर पटलवार – वो भाजपा ही थी,जिसने 2018 में गठबंधन के लिए संदेश भेजा था

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हैदराबाद, 5 अक्टूबर। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के बेटे व भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही थी, जिसने 2018 में गठबंधन के लिए संदेश भेजा था।

उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले पीएम मोदी ने निजामाबाद की एक जनसभा में अपनी टिप्पणी में कहा था कि उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा बनने की इच्छा को शुरू में ही खारिज कर दिया था।

तेलंगाना सरकार में आईटी, ईएंडसी, एमएएंडयूडी और उद्योग एवं वाणिज्य विभागों के कैबिनेट मंत्री रामा राव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि तेलंगाना के गठन के बाद से कई अनुरोधों के बावजूद बीआरएस ने कभी भी चुनावों के दौरान किसी के साथ गठबंधन नहीं किया है और वास्तव में यह विपक्ष ही है जो ‘अजेय’ केसीआर को हराने के लिए अपने वैचारिक मतभेदों को भुलाकर एक साथ आया।

उन्होंने उस समय के समाचारपत्रों की कुछ खबरों की कतरनें भी पोस्ट की है, जिसमें दिखाया गया है कि तत्कालीन तेलंगाना भाजपा प्रमुख लक्ष्मण कह रहे थे कि अगर 2018 के विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल नहीं होता है तो उनकी पार्टी बीआरएस (टीआरएस) का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘2018 में, सबसे बड़ी झूठा पार्टी (भाजपा) ने बीआरएस के साथ गठबंधन करने के लिए अपने प्रदेश अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण के जरिए संदेश भेजा था। क्या यह प्रस्ताव उनके दिल्ली आकाओं की मंजूरी के बिना दिया जा सकता था? यहां तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रिकॉर्ड पर बयान दे रहे हैं।’’ रामा राव ने कहा कि कहानियां गढ़ने वालों को पता होना चाहिए कि बीआरएस ने इस प्रस्ताव को अगले ही क्षण खारिज कर दिया था।

मोदी ने तीन अक्टूबर को एक सार्वजनिक रैली में कहा था कि उन्होंने 2020 में हैदराबाद नगर निगम चुनाव के बाद चंद्रशेखर राव की‘करतूतों’ का हवाला देते हुए एनडीए में शामिल होने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बाद राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया और सत्तारूढ़ बीआरएस ने इसका खंडन किया।

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