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अस्पतालों में भर्ती के लिए अब कोविड-19 संक्रमित होने की रिपोर्ट जरूरी नहीं : केंद्र सरकार

अस्पतालों में भर्ती के लिए अब कोविड-19 संक्रमित होने की रिपोर्ट जरूरी नहीं : केंद्र सरकार

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नई दिल्ली, 8 मई। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी से बचाव के क्रम में राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किया है, जिसके तहत स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती होने के लिए मरीज के पास कोविड-19 संक्रमित होने की रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड मरीजों के उपचार के लिए घोषित संशोधित राष्ट्रीय नीति में शनिवार को कहा कि किसी भी मरीज को ऑक्सीजन या आवश्यक दवाओं आदि समेत किसी भी मद में सेवा देने से इनकार नहीं किया जा सकता, भले ही वह किसी दूसरे शहर का ही क्यों न हो।

एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘राज्यों को एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने विभिन्न श्रेणियों के कोविड देखभाल केंद्रों में कोविड मरीजों के दाखिले की राष्ट्रीय नीति में संशोधन किया है। इन मरीज केंद्रित उपायों का उद्देश्य कोविड-19 से पीड़ित मरीजों को त्वरित, प्रभावी और समग्र उपचार उपलब्ध कराना है।’

मंत्रालय का कहना है कि कोविड मरीजों का प्रबंधन कर रहे निजी अस्पतालों समेत, केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के तहत आने वाले अस्पताल यह सुनिश्चित करेंगे कि कोविड-19 देखभाल केंद्र में दाखिले के लिए कोरोना वायरस संक्रमित होने की रिपोर्ट की जरूरत अनिवार्य नहीं होगी। मरीज को सेवा देने से इनकार नहीं किया जाएगा।’

दिशानिर्देश में कहा गया, ‘संदिग्ध मामले को कोविड देखभाल केंद्र (सीसीसी) संदिग्ध रोगियों के वार्ड, समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र (डीसीएचसी) और समर्पित कोविड अस्पताल (डीएचसी) जो भी हो, वहां भर्ती किया जाएगा।’

मंत्रालय ने यह भी कहा कि अस्पताल में दाखिला निश्चित रूप से ‘जरूरत के आधार’ पर होना चाहिए. यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बिस्तर उस व्यक्ति की वजह से भरा न हो, जिसे अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही अस्पताल से छुट्टी भी संशोधित नीति के तहत होनी चाहिए।’

मंत्रालय के अनुसार उसने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को परामर्श दिया है कि वे तीन दिनों में इन दिशानिर्देशों का शामिल करते हुए आवश्यक आदेश और परिपत्र जारी करें। ये आदेश तब तक प्रभावी रहेंगे, जब तक एक उचित एकरूप नीति इसकी जगह नहीं ले लेती।’

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