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भारत में हर चार में से तीन लोग ‘विटामिन डी’ की कमी से ग्रस्त, वडोदरा और सूरत में सबसे ज्यादा!

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नई दिल्ली, 31 जनवरी। भारत की 76 प्रतिशत आबादी में विटामिन डी की कमी पाई गई है। शोध का ये आंकड़ा भारत के लगभग 27 शहरों में रहने वाले 2.2 लाख से ज्यादा लोगों के परीक्षण पर आधारित है। इस सर्वे को टाटा ग्रुप की ओर से किया गया है। इस सर्वे के मुताबिक विटामिन डी की कमी से प्रभावित होने वाले लोगों की उम्र 25 साल और उससे कम उम्र है।

बता दें कि इस सर्वे में 79 प्रतिशत पुरुष और लगभग 75 प्रतिशत महिलाएं शामिल की गई थीं। जानकारी के मुताबिक, सूरत और वडोदरा में विटामिन डी की कमी वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। सूरत में 88 प्रतिशत और वडोदरा में 89 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। इसके अलावा, दिल्ली-NCR में 72 प्रतिशत लोगों में इस विटामिन की कमी पाई गई।

युवाओं में इस विटामिन की कमी सबसे ज्यादा देखने को मिली। 25 साल तक के 84 प्रतिशत युवाओं में विटामिन डी की कमी पाई गई। जबकि 25-40 एज ग्रुप के 81 प्रतिशत लोगों में ऐसी स्थिति देखी गई। सर्वे की मानें तो यह बात सामने आई है कि कोविड के कारण हुए लॉकडाउन में विटामिन-D की कमी और ज्यादा बढ़ गयी है। वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि लोगों के शरीर में विटामिन-डी की कमी की वजह लॉकडाउन के साथ ही प्रदूषण और डाइट में जंक फूड शामिल करना भी है। ज्यादातर युवा पौष्टिक खाना नहीं खाते हैं।

वहीं मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए जनरल फिजिशियन डॉक्टर राजीव कुमार कहते हैं कि विटामिन डी हमारे शरीर की हड्डियों, दांतों, मांसपेशियों को मजबूत करने और स्वस्थ रखने का काम करता है। इसके अलावा ये शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली को भी मजबूत करता है।

डॉ राजीव ने कहा आमतौर पर विटामिन डी को धूप से मिलने वाले विटामिन के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये विटामिन हमारे शरीर की त्वचा पर सूरज की किरणें पड़ने से बनता है। ये शरीर को कैल्शियम और फॉस्फेट पचाने में मदद करता है जो हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को मजबूत और स्वस्थ रखते हैं।

डॉक्टर राजीव के अनुसार विटामिन डी मुख्य तौर पर धूप से ही मिलता है। लेकिन इसके बाद भी भारत और कई अफ्रीकी देशों के लोग विटामिन डी की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसका एक कारण यहां के लोगों की डाइट भी है। शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा के लिए गोलियां या सप्लीमेंट भी लिया जा सकता है। हालांकि ये इतना महंगा हो जाता है कि भारत की बड़ी जनसंख्या इसे हमेशा खरीदकर नहीं खा पाएगी।

डॉक्टरों की मानें तो हमारे शरीर में विटामिन-डी की मात्रा 75 नैनो ग्राम हो तो ही सही माना जाता है। वहीं उससे कम वाले लोग विटामिन डी की कमी का शिकार माने जाते हैं।

शरीर में अगर विटामिन डी की कमी हो जाती है तो बिना काम के जल्दी थकान, पैरों में सूजन, मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण पर ध्यान देकर आप इस कमी का पता लगा सकते हैं। डॉक्टर राजीव ने बताया कि विटामिन-डी की कमी धीरे-धीरे मानव शरीर के हिस्सों को कमजोर करने लगती है जिसके कारण बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों में ज्यादा दर्द होता है।

विटामिन डी समग्र विकास, मेटाबॉलिज्म, रोग प्रतिरोधक शक्ति और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कमी से लोगों को प्रोस्टेट कैंसर, डिप्रेशन, डायबिटीज, रयूमेटाइड आर्थराइटिस और रिकेट्स जैसी समस्या होने का खतरा रहता है।

हड्डियों के डॉक्टर मोहित यादव के अनुसार, ” हमारे शरीर में कम हुए विटामिन डी की कमी को खाने के माध्यम से दूर करना थोड़ा मुश्किल है। डाइट की बात करें तो ये विटामिन अंडे के पीले वाले हिस्से और मछली में पाया जाता है। इसलिए इसकी कमी से निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका है धूप में कम कपड़ों के साथ घूमना और विटामिन-डी का ओरल सप्लीमेंट लेना”।

सर्वे के अनुसार सबसे ज्यादा विटामिन डी की कमी वडोदरा के लोगों में है। यहां 89 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी का शिकार हैं। वहीं दिल्ली एनसीआर में 72 फीसदी, सूरत में 88 प्रतिशत, अहमदाबाद में 85 प्रतिशत, पटना में 82 प्रतिशत, मुंबई में 78 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी हैं।

इसके अलावा नासिक में 82%, विशाखापत्तनम में 82 प्रतिशत, रांची में 82 प्रतिशत, जयपुर में 81 प्रतिशत, चेन्नई में 81%, भोपाल में 81%, इंदौर में 80%, पुणे में 79%, कोलकाता में 79%, वाराणसी में 79%, मुंबई में 78%, प्रयागराज में 78%, बेंगलुरु में 77%, आगरा में 76%, हैदराबाद में 76%, चंडीगढ़ में 76%, देहरादून में 75%, मेरठ में 74%, दिल्ली-एनसीआर में 72% लोग विटामिन डी की कमी से ग्रस्त हैं।

साइन्स जर्नल नेचर की साल 2022 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 में भारत के लगभग 49 करोड़ लोग विटामिन-D की कमी से ग्रस्त थे। इसी रिसर्च के अनुसार भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और तुनीसिया जैसे देशों में कुल आबादी का लगभग 20 प्रतिशत आबादी विटामिन-D की कमी से जूझ रहा था। इससे पहले यही रिसर्च साल 2020 में किया गया था। उस वक्त भारत के 76 फीसदी लोगों में विटामिन-D की कमी थी। अध्य्यन की मानें तो यह बात सामने आई है कि कोविड के कारण हुए लॉकडाउन में विटामिन-D की कमी और ज्यादा बढ़ गयी थी।