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पिता लालू यादव के बाद तेजस्वी ने भी मोदी सरकार पर साधा निशाना – ‘कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ मिलना, चुनावी मजबूरी का फैसला’

पिता लालू यादव के बाद तेजस्वी ने भी मोदी सरकार पर साधा निशाना – ‘कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ मिलना, चुनावी मजबूरी का फैसला’

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पटना, 24 जनवरी। जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरान्त देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिए जाने की मोदी सरकार की घोषणा के बाद बिहार में ही खूब सियासत हो रही है। इस क्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बाद उनके पुत्र व बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी परोक्ष रूप से मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भले ही केंद्र सरकार की कोई मजबूरी रही हो, लेकिन यह हम सभी के लिए खुशी का वक्त है।

तेजस्वी यादव ने मौजूदा समय राजद और जदयू के बीच जारी मतभेद का जिक्र करते हुए बुधवार को कहा, “हमारे लिए अब यह महत्वपूर्ण नहीं है कि यह निर्णय किन मजबूरियों के कारण लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लिया गया, महत्वपूर्ण यह है कि हमारी मांग पूरी हो गई है। हम लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। हम वास्तव में खुश हैं कि हमारे पूर्व मुख्यमंत्री को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है।”

बिहार में जाति जनगणना के बाद केंद्र को यह निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा

उन्होंने कहा, ‘फैसला अच्छा है, लेकिन इसका प्रभाव राजनीतिक रूप से भी देखा जाएगा। दरअसल हमारे द्वारा जाति जनगणना कराने के बाद केंद्र सरकार को यह निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।’ तेजस्वी ने अपने पुराने भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि राजद बहुत पहले से मांग कर रही थी कि बिहार के गौरव और जननायक कर्पूरी ठाकुर को देश के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाए।

इससे पहले मंगलवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने केंद्र के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार पर हमला तो जरूर किया, लेकिन साथ ही कर्पूरी ठाकुर को अपना ‘गुरु’ बताते हुए यह भी कहा कि उन्हें तो बहुत पहले ही ‘भारत रत्न’ का सम्मान मिल जाना चाहिए था। केंद्र पर निशाना साधते हुए लालू यादव ने कहा था कि बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के बाद केंद्र सरकार की नींद खुली और उसने बहुजनों के हित पर ध्यान केंद्रित किया।

मेरे राजनीतिक गुरु को बहुत पहले ही यह सम्मान मिल जाना चाहिए था – लालू यादव

लालू यादव ने कहा, ‘मेरे राजनीतिक और वैचारिक गुरु कर्पूरी ठाकुर को बहुत पहले ही ‘भारत रत्न’ मिल जाना चाहिए था। हमने सदन से लेकर सड़क तक उनको सम्मान देने के लिए आवाज उठाई थी, लेकिन केंद्र सरकार की तो नींद तब खुली, जब बिहार की गठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना कराई। हमने बहुजनों के हित के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाया। राजनीति को दलित-बहुजन की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा।’

सीएम नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के फैसले को सराहा

इससे पहले दिन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार की घोषणा के लिए केंद्र सरकार की प्रशंसा की। नीतीश कुमार ने कहा, “बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ देना बहुत खुशी की बात है। यह केंद्र सरकार का एक अच्छा निर्णय है। स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को दिया गया यह सर्वोच्च सम्मान है। उनकी 100वीं जयंती पर सभी वर्गों में सकारात्मक भावनाएं पैदा होंगी। हम हमेशा स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ देने की मांग करते रहे हैं। वर्षों पुरानी मांग आज पूरी हो गई है।”

जब कर्पूरी ठाकुर जीवित थे तो भाजपा उन्हें गालियां दे रही थी

इस बीच, राजद के मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब कर्पूरी ठाकुर जीवित थे तो भाजपा उन्हें गालियां दे रही थी और बीते नौ सालों तक उन्हें याद नहीं किया। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी और नेता लालू यादव लगातार उनके लिए ‘भारत रत्न’ की मांग कर रहे थे। अब जब चुनाव नजदीक आ गए हैं, तो भाजपा वाले कर्पूरी ठाकुर को याद कर रहे हैं और उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। वे वोट के लिए उन्हें याद कर रहे हैं।”

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