भाषा विवाद के बीच कार्यकर्ताओं से बोले तमिलनाडु के सीएम स्टालिन – ‘हिन्दी मुखौटा है, संस्कृत चेहरा है…’
नई दिल्ली, 27 फरवरी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन हिन्दी थोपे जाने का आरोप लगाकर केंद्र पर लगातार निशाना साध रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने गुरुवार को कहा कि राज्य इस भाषा को अपने ऊपर थोपने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने तमिल व इसकी संस्कृति की रक्षा करने की कसम खाई। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा, ‘हिन्दी थोपे जाने का विरोध किया जाएगा। हिन्दी मुखौटा है, संस्कृत छिपा हुआ चेहरा है।’
दरअसल, तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत तीन-भाषा फार्मूले के माध्यम से केंद्र द्वारा हिन्दी थोपे जाने का आरोप लगा रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने इस आरोप का खंडन किया है। यह मुद्दा तब से दोनों के बीच विवाद का विषय बन गया है, जिसके कारण सीएम स्टालिन ने घोषणा की कि राज्य एक और भाषा युद्ध के लिए भी तैयार है, जैसा कि 1965 में डीएमके ने हिन्दी विरोधी आंदोलन के लिए शुरू किया था।
‘हिन्दी-संस्कृत ने 25 से अधिक उत्तर भारतीय मूल भाषाओं को बर्बाद किया’
स्टालिन ने पत्र में दावा किया कि बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बोली जाने वालीं मैथिली, ब्रजभाषा, बुंदेलखंडी और अवधी आधिपत्य वाली कई उत्तर भारतीय भाषाएं हिन्दी द्वारा नष्ट कर दी गई हैं। आधिपत्य वाली हिन्दी-संस्कृत भाषाओं के आक्रमण से 25 से अधिक उत्तर भारतीय मूल भाषाएं बर्बाद हो गई हैं। सदियों पुराने द्रविड़ आंदोलन ने जागरूकता पैदा करने और विभिन्न आंदोलनों के कारण तमिल और उसकी संस्कृति की रक्षा की।‘
‘केंद्र हिन्दी और संस्कृत थोपने की कोशिश कर रहा’
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रहा है क्योंकि केंद्र शिक्षा नीति के माध्यम से हिन्दी और संस्कृत को थोपने की कोशिश कर रहा है। भाजपा के इस तर्क का विरोध करते हुए कि एनईपी के अनुसार तीसरी भाषा विदेशी भी हो सकती है, स्टालिन ने दावा किया कि 3-भाषा नीति अनुसूची के अनुसार कई राज्यों में केवल संस्कृत को बढ़ावा दिया जा रहा है।
‘…तो मातृभाषा को नजरअंदाज कर दिया जाएगा’
स्टालिन ने दावा किया कि भाजपा शासित राजस्थान उर्दू प्रशिक्षकों के बजाय संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति कर रहा है। उन्होंने दावा करते हुए कहा, ‘यदि तमिलनाडु त्रिभाषी नीति को स्वीकार करता है तो मातृभाषा को नजरअंदाज कर दिया जाएगा और भविष्य में संस्कृतीकरण होगा। एनईपी प्रावधानों में कहा गया है कि संस्कृत के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं को स्कूलों में पढ़ाया जाएगा और तमिल जैसी अन्य भाषाओं को ऑनलाइन पढ़ाया जा सकता है।’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र ने तमिल जैसी भाषाओं को खत्म करने और संस्कृत को थोपने की योजना बनाई है। द्रविड़ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई ने दशकों पहले राज्य में दो-भाषा नीति को अनिवार्य किया था ताकि यह स्पष्ट हो सके कि हिन्दी-संस्कृत के माध्यम से आर्य संस्कृति को थोपने और तमिल संस्कृति को नष्ट करने के लिए कोई जगह नहीं है।’
