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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – सभी को एक समान मानें, तभी दूर होगा समाज का पिछड़ापन

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – सभी को एक समान मानें, तभी दूर होगा समाज का पिछड़ापन

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जयपुर, 7 अप्रैल। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने समाज में व्याप्त पिछड़ेपन को दूर करने पर जोर देते हुए कहा है सभी को समान मानकर ही पिछड़ेपन को दूर किया जा सकेगा। उन्होंने सेवा को मनुष्‍यत्‍व की स्‍वाभाविक अभिव्‍यक्ति भी बताया। वह शुक्रवार को यहां जामडोली में केशव विद्यापीठ में राष्ट्रीय सेवा भारती के सेवा संगम के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मोहन भागवत ने समाज में व्‍याप्‍त पिछड़ेपन का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमारे समाज का केवल एक अंग पीछे नहीं है बल्कि उसके कारण हम सब लोग पिछड़ गए हैं। हमें यह पिछड़ापन दूर करना है। हमें सभी को समान, अपने जैसा मानकर सेवा के माध्यम से उन्हें अपने जैसा बनाना है। हम इसके लिए संकल्‍प ले सकते हैं, सेवा कर सकते हैं।’

‘यदि हम एक नहीं है तो हम अधूरे हो जाएंगे

भागवत ने कहा, ‘हम सभी मिलकर समाज हैं। यदि हम एक नहीं है तो हम अधूरे हो जाएंगे। यदि सभी एक-दूसरे के साथ हैं तभी हम पूर्ण बनेंगे। लेकिन दुर्भाग्‍य से यह विषमता आई है। हमको यह विषमता नहीं चाहिए।’

उन्‍होंने कहा, ‘हम अपना-अपना काम करते होंगे। काम के अनुसार रूप-रंग भले ही निराला होता होगा। लेकिन हम सब में एक ही प्राण है। समाज का एक अंग उपेक्षित हो – यह कैसे हो सकता है। यदि देश को विश्‍व गुरु बनाना है तो इसका मतलब है कि वह सर्वांग परिपूर्ण होना चाहिए। उसका प्रत्‍येक अंग सामर्थय संपन्‍न होना चाहिए। समाज में इसकी आवश्‍यकता है क्‍योंकि यह समाज मेरा अपना है।’

‘सेवा मनुष्‍य के मनुष्यत्व  की स्‍वाभाविक अभिव्यक्ति है

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘हमारा संकल्‍प हो कि मेरे समाज का, मेरे राष्‍ट्र का कोई अंग दुर्बल, पिछड़ा, नीचा नहीं रहे। काम के बंटवारे के आधार पर मेरा उसका कुछ अलग हो सकता है, लेकिन हम सब समान हैं। मेरा कार्य जितना उच्‍च एवं महत्‍वपूर्ण है, उसका काम भी उतना ही महत्‍वपूर्ण एवं उच्‍च है। श्रम की प्रतिष्‍ठा सर्वत्र है और कोई भेद नहीं। सेवा स्‍वस्‍थ समाज बनाती है, लेकिन स्‍वस्‍थ समाज को बनाने के लिए पहले वह पहले हमको स्‍वस्‍थ करती है। सेवा मनुष्‍य के मनुष्यत्व की स्‍वाभाविक अभिव्यक्ति है।’

कार्यक्रम में पीरामल समूह के चेयरमैन अजय पीरामल मुख्य अतिथि थे जबकि संत बालयोगी उमेशनाथ जी महाराज ने आशीर्वचन दिया। सेवा भारती के इस तीन दिवसीय संगम में देशभर से 800 से अधिक स्वैच्छिक सेवा संगठनों के हजारों प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

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