नई दिल्ली, 2 जून। प्रख्यात संतूर वादक भजन लाल सोपोरी का गुरुवार को निधन हो गया। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे 74 वर्षीय सोपोरी का गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में इलाज चल रहा था। आज उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
श्रीनगर में 1948 में जन्मे सोपोरी सूफियाना घराने से ताल्लुक रखते थे और पूरी दुनिया में अपनी कला के दम पर उन्होंने एक अलग पहचान बनाई थी। उनका जाना शास्त्रीय संगीत के लिए एक बड़ी क्षति है, जिसे कभी नहीं भरा जा सकेगा।
पद्मश्री और राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से नवाजे जा चुके थे सोपोरी
विडम्बना देखिए कि पिछले माह 10 मई को ही देश के एक अन्य ख्यातिनाम संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का निधन हो गया था और अब भजन सोपोरी का। उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित पद्मश्री और राष्ट्रीय कालिदास सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
संतूर से लेकर सितार तक बजा सकते थे भजन सोपोरी
भजन सोपोरी की कला इतनी महान थी कि वह संतूर से लेकर सितार तक, सब बजा सकते थे। उनके पास इंडियन क्लासिकल म्यूजिक में डबल मास्टर की डिग्री थी। उन्होंने इंग्लिश लिट्रेचर में भी मास्टर डिग्री ले रखी थी. ऐसे में संगीत के साथ-साथ भाषा पर भी उनकी जबर्दस्त पकड़ रहती थी।
सोपोरी को महान वादक शंकर पंडित से देन में मिली थी यह कला
सोपोरी को यह कला भी अपने महान वादक शंकर पंडित जी से देन में मिली थी। शंकर पंडित ने ही भारत में सूफी बाज स्टाइल को लोकप्रिय बनाया था। बाद में सोपोरी ने भी उस कला को आगे बढ़ाया और संतूर को भी एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी।
1950 के दशक में ही संतूर के साथ दुनियाभर में कॉन्सर्ट करने लगे थे
1950 के दशक में ही वह संतूर के साथ दुनियाभर में कॉन्सर्ट करने लगे थे। क्लासिकल म्यूजिक को संतूर के जरिए उन्होंने एक नया आयाम दे दिया था। उन्होंने अपने संतूर के साथ ही इतने एक्सपेरिमेंट किए कि उनके लिए वह एक वाद्य यंत्र ही हमेशा काफी रहा और वह सभी का दिल जीतते रहे।