1. Home
  2. हिंदी
  3. राजनीति
  4. यूपी सरकार का फैसला : उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को साल में 10 बार मिलेगा रिहाई का मौका
यूपी सरकार का फैसला : उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को साल में 10 बार मिलेगा रिहाई का मौका

यूपी सरकार का फैसला : उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को साल में 10 बार मिलेगा रिहाई का मौका

0
Social Share

लखनऊ, 30 मई। उत्तर प्रदेश की जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आदर्श कैदियों को साल में 10 लोक दिवस पर रिहाई का मौका मिलेगा। इस रिहाई में अब उम्र का सीमा भी समाप्त कर दिया गया है। शासनादेश में संशोधन करते हुए राज्यपाल ने अब साल में 10 लोक दिवस पर रिहाई की अनुमति दी है।

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि 2018 के शासनादेश में संशोधन किया गया है, जिसमें बंदियों को 10 लोक दिवस पर रिहा करने की अनुमति राज्यपाल ने दी है।  2018 में हुए संशोधन में उम्र की सीमा निर्धारित करते हुए साल में सात लोक दिवस पर रिहाई की अनुमति दी गई थी। ऐसे में कैदियों की रिहाई के लिए 60 साल की उम्र पूरी करने की शर्त को समाप्त कर दिया गया है।

संशोधित शासनादेश के अनुसार आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को पैरोल में मिली जमानत के बाद समय पर जेल में वापस आए हों। साथ ही 16 से 20 साल की सजा पूरी कर चुके कैदियों को ही रिहाई का अवसर मिलेगा।

जेल में आचरण कैसा रहा, उसे भी देखा जाएगा

जेल में कैद के दौरान कैदियों का आचरण कैसा रहा है। इसे भी रिहाई के दौरान देखा जाएगा। आदर्श श्रेणी के बंदियों को ही इसमे शामिल किया जाएगा। बता दें कि आदर्श जेल में प्रदेश के सभी जिला कारागार से चिन्हित कर कैदियों को लाया जाता है। जिसे सुधरने का पूरा मौका दिया जाता है। सुधरने के बाद उन्हें काम के लिए रोजाना जेल से बाहर भी भेजा जाता है।

केंद्रीय एजेंसियों के गुनाहगारों को मौका नहीं

जारी शासनादेश में साफ किया गया है कि जघन्य अपराध के दोषी ऐसे बन्दी जिनपर नाबालिग से दुष्कर्म, राष्ट्रद्रोह और नरसंहार जैसे मुकदमे हैं उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा। एनआईए, सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों की विशेष अदालत से मिले सजा के कैदियों को भी रिहाई नहीं मिलेगी। ऐसे बन्दी जिनसे कानून व्यवस्था को और समाज को खतरा हो उनके रिहाई को राज्य सरकार रोक सकती है।

इन 10 मौकों पर रिहा होंगे कैदी

कैदियों की रिहाई अभी तक साल में सिर्फ सात बार होती थी, जिसमे गांधी जयन्ती (2 अक्टूबर) गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी), मजदूर दिवस (1 मई), विश्व योग दिवस (21 जून), स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त) महिला दिवस (8 मार्च), विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) शामिल थे। अब शासनादेश में बदलाव के बाद शिक्षक दिवस (5 सितम्बर), अन्तर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस (16 नवम्बर) और अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (10 दिसम्बर) को शामिल किया गया है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code