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उपराज्यपाल नहीं, केजरीवाल ही दिल्ली के असली बॉस, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

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नई दिल्ली, 11 मई। राजधानी दिल्ली में सर्विसेज पर नियंत्रण किसका होगा, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने फैसला सुना दिया है। दिल्ली सरकार vs उपराज्यपाल के अधिकार में टकराव की स्थिति खत्म हो गई है। SC ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस, कानून व्यवस्था और जमीन को छोड़कर बाकी अधिकार जैसे अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग आदि पावर दिल्ली सरकार के पास होगी। इस तरह से दिल्ली की आम आदमी पार्टी के पक्ष में फैसला आया है।

उच्चतम न्यायालय ने फैसले में कहा कि दिल्ली देश के दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों की तरह UT नहीं है। दिल्ली के मामले पर पांचों जजों का एक मत रहा। फैसला दो हिस्सों में लिखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूसरे राज्यों की तुलना में दिल्ली सरकार के पास सीमित अधिकार हैं। दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट 18 जनवरी को आदेश रख चुका सुरक्षित
पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से क्रमश: सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पांच दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

संविधान पीठ का गठन दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए किया गया था। पिछले साल छह मई को शीर्ष कोर्ट ने इस मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था।