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महबूबा मुफ्ती का आह्वान – जम्मू-कश्मीर और PoK को विश्व शांति क्षेत्र घोषित किया जाए

महबूबा मुफ्ती का आह्वान – जम्मू-कश्मीर और PoK को विश्व शांति क्षेत्र घोषित किया जाए

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नई दिल्ली, 28 जुलाई। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के दो क्षेत्रों – जम्मू और कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को विश्व शांति क्षेत्र घोषित करने का आह्वान किया है। उन्होंने साथ ही यह भी सुझाव दिया कि जम्मू-कश्मीर और पीओके को सार्क सहयोग क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि अगर भारत सार्क समूह का गुरु भी नहीं बन सकता तो उसको दुनिया का गुरु बनना भूल जाना चाहिए। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) एक 8 सदस्यीय समूह है, जिसमें भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। अफगानिस्तान क्षेत्रीय समूह में 2007 में शामिल हुआ।

CPEC परियोजना पर पाकिस्तान और चीन की प्रशंसा भी की

महबूबा मफ्ती यहीं नहीं रुकीं वरन उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना पर पाकिस्तान और चीन की प्रशंसा भी कर डाली, जिसका भारत ने मुखर शब्दों में विरोध किया है। मुफ्ती ने भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर को दुनिया से उसी तरह जोड़ने का आह्वान किया, जिस तरह से पाकिस्तान और चीन कश्मीर के दूसरे हिस्से को जोड़ रहे हैं।

भारत पीओके से होकर गुजरने वाली परियोजना पर पहले ही जता चुका है कड़ी आपत्ति

महबूबा की यह टिप्पणी भारत द्वारा चीन और पाकिस्तान द्वारा तीसरे देशों को बहु-अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) में शामिल होने के लिए कहने के लिए फटकार लगाने के कुछ दिनों बाद आई है। भारत ने इस परियोजना पर इसलिए आपत्ति जताई है कि यह पीओके से होकर गुजरती है, जो पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित एक भारतीय क्षेत्र है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने हाल ही में कहा था कि सीपीईसी के तहत ऐसी गतिविधियां ‘स्वाभाविक रूप से अवैध, नाजायज और अस्वीकार्य’ हैं और भारत द्वारा उसी के अनुसार व्यवहार किया जाएगा।

उन्होंने कहा था, ‘हमने तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर रिपोर्टें देखी हैं। किसी भी पार्टी द्वारा ऐसी कोई भी काररवाई सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। भारत तथाकथित सीपीईसी में परियोजनाओं का दृढ़ता से और लगातार विरोध करता है, जो भारतीय क्षेत्र में हैं और जो पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है।’

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