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गणतंत्र दिवस समापन समारोह : बीटिंग द रिट्रीट में पहली बार एक हजार ड्रोन से होगा लाइट शो का प्रदर्शन

गणतंत्र दिवस समापन समारोह : बीटिंग द रिट्रीट में पहली बार एक हजार ड्रोन से होगा लाइट शो का प्रदर्शन

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नई दिल्ली, 29 जनवरी। गणतंत्र दिवस समापन समारोह के अंतर्गत शनिवार की शाम ऐतिहासिक विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष समारोह के प्रमुख आकर्षणों में एक नए ड्रोन का प्रदर्शन होगा। इसमें राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर रामनाथ कोविंद शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे।

मेक इन इंडियापहल के अंतर्गत परिकल्पित है समारोह की अवधारणा

इस समारोह की अवधारणा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत परिकल्पित की गई है। ड्रोन प्रदर्शन का आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) दिल्‍ली ओर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से स्टार्टअप ‘बोटलैब डायनेमिक्स’ द्वारा किया गया है। इस प्रदर्शन की अवधि 10 मिनट की होगी, इसमें स्वदेशी तकनीक के जरिए निर्मित लगभग एक हजार ड्रोन शामिल होंगे।

सारे जहां से अच्छाकी सर्वकालिक धुन के साथ होगा कार्यक्रम का समापन

ड्रोन प्रदर्शन के दौरान क्रमबद्ध बैकग्राउंड संगीत भी बजाया जाएगा। भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के बैंड द्वारा बजाए जाने वाले कदम ताल संगीत के साथ कुल 26 प्रदर्शन दर्शकों के मन को मोहने का काम करेंगे। इस समारोह के मुख्य संचालक कमांडर विजय चार्ल्स डी’क्रूज होंगे। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए इस समारोह में कई नई धुनें जोड़ी गई हैं। इनमें ‘केरल’, ‘हिंद की सेना’ और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ शामिल हैं। इस कार्यक्रम का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की सर्वकालिक धुन के साथ होगा।

सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है बीटिंग द रिट्रीट

‘बीटिंग द रिट्रीट’ एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है। यह परंपरा उस समय से चली आ रही है, जब सूर्यास्त के समय सैनिक युद्ध रोक देते थे। जैसे ही युद्ध विराम का बिगुल बजता था, सैनिक लड़ाई बंद कर अपने हथियार रख देते थे और युद्ध के मैदान से हट जाते थे। यही कारण है कि युद्ध वापसी की धुन के दौरान भी खड़े रहने की प्रथा आज भी कायम है।

ड्रम की धुन उन दिनों की याद दिलाती है, जब शाम को निर्धारित समय पर सैनिकों को कस्बों और शहरों से उनके बैरक में वापस बुला लिया जाता था। इन सैन्य परंपराओं के आधार पर, ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह बीते समय की याद दिलाता है।

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