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दिल्ली सेवा विवाद : अध्यादेश के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार, संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा की लगाई गुहार

दिल्ली सेवा विवाद : अध्यादेश के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार, संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा की लगाई गुहार

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नई दिल्ली, 20 मई। दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच विभिन्न मुद्दों पर जारी तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा घटनाक्रम के तहत केंद्र ने शुक्रवार,19 मई को एक अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को दिया गया था। अब केंद्र ने संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा अध्यादेश लाने के बाद शनिवार को 11 मई की संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जहां शीर्ष अदालत ने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास राष्ट्रीय राजधानी में ‘सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्ति’ है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए कल एक अध्यादेश लाई है, जिसके पास दिल्ली में सेवा करने वाले दानिक्स के सभी अधिकारियों और ग्रुप ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की सिफारिश करने की शक्ति होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने नौकरशाहों का नियंत्रण निर्वाचित सरकार के हाथों में सौंप दिया था

इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने गत 11 मई को सर्वसम्मति से दिए गए अपने आदेश में आम आदमी पार्टी सरकार को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली सरकार में सेवारत नौकरशाहों का नियंत्रण इसके निर्वाचित सरकार के हाथों में सौंप दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को इसके दायरे से बाहर रखा था। संविधान पीठ में जस्टिस एम.आर. शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल रहे।

संविधान पीठ ने कहा था कि नौकरशाहों पर एक निर्वाचित सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं पर प्रशासनिक नियंत्रण के विवादित मुद्दे पर अपने फैसले में कहा था, ‘केंद्र की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के प्रतिकूल होगा…दिल्ली अन्य राज्यों की तरह ही है और उसकी भी एक चुनी हुई सरकार की व्यवस्था है।’ संविधान पीठ ने कहा था, ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के पास लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर अन्य सेवाओं पर विधायी तथा शासकीय शक्तियां हैं।’

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