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‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ बिल पर वोटिंग के दौरान भाजपा के 20 सांसद रहे अनुपस्थित, ह्विप के उल्लंघन पर एक्शन की तैयारी

‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ बिल पर वोटिंग के दौरान भाजपा के 20 सांसद रहे अनुपस्थित, ह्विप के उल्लंघन पर एक्शन की तैयारी

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नई दिल्ली, 17 दिसम्बर। एनडीए सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ बिल पेश किया। इस दौरान बिल को लेकर वोटिंग हुई। भाजपा ने अपने सभी सांसदों को आज सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का ह्विप जारी किया था, लेकिन मतदान के दौरान भाजपा के 20 सांसद अनुपस्थित रहे। पार्टी ने अपने सांसदों के इस कृत्य को गंभीरता से लिया है, लिहाजा ऐसे सांसदों के खिलाफ पार्टी एक्शन की तैयारी कर रही है। इस क्रम में पार्टी उन्हें सबसे पहले नोटिस भेजेगी।

अनुपस्थित सांसदों को नोटिस भेजकर जवाब मांगेगी पार्टी

लोकसभा में वोटिंग के दौरान भाजपा के जो 20 सांसद सदन में नहीं थे, उनमें शांतनु ठाकुर, जगदंबिका पाल, बीवाई राघवेन्द्र, गिरिराज सिंह, नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, भागीरथ चौधरी (राजस्थान में प्रधानमंत्री के एक कार्यक्रम में थे), जगन्नाथ सरकार, जयंत कुमार रॉय भी शामिल थे। सूत्रों के अनुसार पार्टी इन सासंदों से अब ह्विप के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगेगी।

दरअसल, किसी मुद्दे को लेकर पार्टी का ह्विप जारी होने पर कोई सांसद गैरहाजिर होता है तो उसको पहले पार्टी के ह्विप (सचेतक) को कारण बताते हुए सूचित करना पड़ता है। लेकिन यदि कोई कारण बताए बगैर सदन से गैरहाजिर रहता है तो पार्टी को ये अधिकार है कि वो उक्त सांसद से नोटिस जारी कर जवाब मांग सकती है। यदि पार्टी जवाब से संतुष्ट नहीं होती तो वो अनुशासनात्मक काररवाई भी कर सकती है। यहां तक कि सदस्यता तक जा सकती है।

इसी तरह भाजपा के 20 सांसदों में कुछ सीनियर सदस्य होने की वजह से विपक्ष के बीच भी ये मुद्दा चर्चा का विषय बन चुका है। इसके अलावा भाजपा ही नहीं एनडीए सहयोगियों में जनसेना से सांसद बालसौरी वोटिंग में गैरहाजिर थे। इस मुद्दे पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह विषय गंभीर है। पार्टी उनसे पता करेगी और सदन में उपस्थित नहीं रहने का कारण पूछेगी।

एनडीए के 307 सदस्यों में सिर्फ 269 ने ही मतदान किया

उल्लेखनीय है कि लोकसभा के संचालन के नियमों के अनुसार संविधान में प्रस्तावित इन दो संशोधनों को लोकसभा से पास करने के लिए वहां मौजूद और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। संविधान संशोधन विधेयक को पास करने के लिए हुए मतदान में 461 सदस्यों ने हिस्सा लिया। यदि यह विधेयक पारित करने के लिए मतदान होता तो उन 461 में से 307 को इसके पक्ष में मतदान करना पड़ता, लेकिन केवल 269 ने ही मतदान किया।

सत्ता पक्ष की ओर से कम मतदान पर विपक्षी कांग्रेस ने बोला हमला

इस बीच लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आज के दिन को उदाहरण के रूप में लेते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला। सत्ता पक्ष की ओर से कम वोटिंग को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस की ओर से कहा गया, ‘इस विधेयक को समर्थन नहीं मिला है… कई दलों ने इसके खिलाफ बोला है।’ हालांकि, भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने विधेयक पेश किये जाने से पहले अपने सभी सांसदों को तीन-लाइन का ह्विप जारी किया था। उनके अलावा तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और शिवसेना (शिंदे गुट) सहित एनडीए के सहयोगी दलों ने भी अपने सांसदों की मौजूदगी के लिए ह्विप जारी किया  था।

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