पश्चिम बंगाल : ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम बोले – अल्लाह ने चाहा तो जल्द ही बहुमत में होंगे मुसलमान
कोलकाता, 15 दिसम्बर। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम के उस बयान को लेकर सियासी बखेरा खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अल्लाह ने चाहा तो जल्द ही मुसलमान बहुमत में होंगे। हकीम ने शुक्रवार को अल्पसंख्यक छात्रों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुस्लिम समुदाय को इस स्थिति में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां उनकी आवाज स्वतः सुनी जाए और उनके विकास और न्याय की मांगें पूरी की जाएं।
फिरहाद हकीम ने कार्यक्रम में कहा, ‘पश्चिम बंगाल में हम 33 प्रतिशत हैं और राष्ट्रीय स्तर पर हम 17 प्रतिशत हैं। हम संख्यात्मक रूप से अल्पसंख्यक हो सकते हैं, लेकिन अल्लाह ने चाहा तो हम इतने सशक्त हो सकते हैं कि हमें न्याय के लिए मोमबत्ती मार्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम उस स्थिति में होंगे, जहां हमारी आवाज स्वतः सुनी जाएगी और न्याय की मांगें पूरी होंगी।’
हकीम ने न्यायपालिका में मुस्लिमों के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जताई। कोलकाता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम जजों की संख्या का उन्होंने जिक्र किया। उनका कहना था कि सशक्तिकरण और मेहनत के माध्यम से इस खाई को पाटा जा सकता है। हकीम के इस बयान का एक वीडियो वायरल हो गया है।
हकीम के बयान पर भड़की भाजपा, कहा – शरिया कानून लाना चाहते हैं
इस बीच भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने फिरहाद हकीम के बयान की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि हकीम पश्चिम बंगाल और भारत में भविष्य में मुस्लिम बहुलता का इशारा कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि हकीम के बयान से यही लगता है कि मुस्लिम कानून को अपने हाथ में लेंगे, जो कि शरिया कानून का समर्थन हो सकता है।
अमित मालवीय ने लिखा, ‘कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने पहले गैर मुस्लिमों को दुर्भाग्यशाली बताया था। उन्होंने दावत-ए-इस्लाम के द्वारा हिन्दुओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के प्रयासों का समर्थन किया था। अब उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल और पूरे भारत में जल्द ही मुस्लिम बहुलता होगी। हकीम का बयान यह संकेत देता है कि भविष्य में मुस्लिम न्याय को अपने हाथों में लेंगे जो शरिया कानून की ओर इशारा करता है।’
टीएमसी ने किया बचाव
वहीं टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने हकीम के बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हकीम का मतलब था कि अल्पसंख्यक समुदाय के बड़े हिस्से का उत्थान करना ताकि वे मुख्यधारा में शामिल हो सकें और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।’
कुणाल घोष ने कहा, ‘मैंने फिरहाद हकीम का पूरा बयान नहीं सुना, इसलिए केवल एक बयान पर टिप्पणी करना सही नहीं है। बंगाल में हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और एकता में रहते हैं। बंगाल के लोग धर्म के आधार पर विवाद नहीं चाहते। जैसा कि मुझे जानकारी मिली है, हकीम ने शिक्षा पर जोर दिया था क्योंकि यह एक निगम कार्यक्रम था।’