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लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत फिर बिगड़ी, अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती   

लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत फिर बिगड़ी, अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती  

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नई दिल्ली, 6 अगस्त। पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी फिर अस्वस्थ हो गए हैं। उन्हें आज सुबह राष्ट्रीय राजधानी में अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि उनकी हालत स्थिर है और डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही है।

एक माह में तीसरी बार अस्पताल जाना पड़ा है

उल्लेखनीय है कि 96 वर्षीय आडवाणी उम्र से संबंधित स्वास्थ्य दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। पिछले एक माह के भीतर यह तीसरी बार है, जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पिछले माह के पहले हफ्ते में भी आडवाणी को अपोलो में  ही भर्ती कराया गया था और दो दिन चिकित्सकीय देखरेख में रखने के बाद छुट्टी दे दी गई थी। उन्हें तब न्यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विनीत सूरी की देखरेख में रखा गया था। इससे पहले, आडवाणी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था और वहां रातभर रखने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

उल्लेखनीय है कि आडवाणी को इसी वर्ष देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। हालांकि तबीयत के मद्देनजर वह राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके थे, इसलिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 30 मार्च को उनके आवास पर जाकर ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। औपचारिक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और आडवाणी के परिवार के सदस्य शामिल हुए थे।

वर्ष 2002 से 2004 तक भारत के 7वें उप प्रधानमंत्री रहे आडवाणी को 2015 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से भी नवाजा जा चुका है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सह-संस्थापकों में एक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सदस्य आडवाणी 1998 से 2004 तक सबसे लंबे समय तक देश के गृह मंत्री रहे हैं। वह लोकसभा में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले विपक्ष के नेता भी हैं।

लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी नेता की भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपनी पहली राम रथ यात्रा 25 सितम्बर, 1990 को गुजरात के सोमनाथ से शुरू की थी, जो अयोध्या में समाप्त हुई थी। इस यात्रा से उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को लोगों तक पहुंचाया।

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