सिग्नल त्रुटि के कारण हुई थी बालासोर ट्रेन दुर्घटना, रेल मंत्रालय ने जारी किया जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष
नई दिल्ली, 21 जुलाई। रेल मंत्रालय ने पहली बार रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट के निष्कर्षों को जारी करते हुए कारणों का विवरण देते हुए कहा है कि पिछले जून में ओडिशा के बालासोर में विनाशकारी ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना एक सिग्नल त्रुटि के कारण हुई थी। यह दुर्घटना पिछले दो दशकों में भारत में सबसे भयावह रेल दुर्घटनाओं में से एक थी, जिसमें 293 से अधिक मौतें हुईं और 1,200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
राज्यसभा में डॉ. जॉन ब्रिटास के सवालों पर सामने आई रिपोर्ट
राज्यसभा में सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में सामने आई रिपोर्ट में नॉर्थ सिग्नल गुमटी स्टेशन पर सिग्नलिंग सर्किट परिवर्तन और इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के प्रतिस्थापन के लिए सिग्नलिंग कार्य के निष्पादन के दौरान खामियों की ओर इशारा किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछली टक्कर अतीत में नॉर्थ सिग्नल गुमटी (स्टेशन के) पर किए गए सिग्नलिंग-सर्किट-परिवर्तन में खामियों के कारण हुई थी, और लेवल के लिए इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के प्रतिस्थापन से संबंधित सिग्नलिंग कार्य के निष्पादन के दौरान हुई थी। स्टेशन पर गेट नंबर 94 को पार करते हुए।’
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन त्रुटियों के परिणामस्वरूप गलत लाइन के लिए हरा सिग्नल दिखाया गया, जिससे ट्रेन एक स्थिर मालगाड़ी से टकरा गई। मंत्री ने कहा कि ये मुद्दे रेलवे अधिकारियों की ओर से ‘घोर चूक और लापरवाही’ को दर्शाते हैं। सरकार ने यह भी बताया कि दुर्घटना में घायल हुए 41 यात्रियों की अब भी पहचान नहीं हो पाई है।
सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास के अनुरोध के बावजूद सरकार ने पिछले तीन वर्षों में इसी तरह की सिग्नल विफलताओं पर विवरण नहीं दिया, केवल यह कहा कि विफलताएं हुई थीं, लेकिन ऐसी कोई विफलता नहीं थी, जिसके कारण बालासोर जैसी गंभीर घटना हुई हो।
हादसे को लेकर तीन रेल कर्मी न्यायिक हिरासत में हैं
इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दुर्घटना के संबंध में भारतीय रेलवे के तीन कर्मचारियों, अरुण कुमार महंत, मोहम्मद अमीर खान और पप्पू कुमार को गिरफ्तार किया था। उन पर गैर इरादतन हत्या और सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की रिमांड अवधि 15 जुलाई को समाप्त होने के बाद आरोपित फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की गई है।
रेलवे की जांच प्रक्रिया अब भी जारी
रेलवे की जांच अब भी जारी है, जिससे 16 मई, 2022 को दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के बंकरनयाबाज स्टेशन पर गलत वायरिंग और केबल की खराबी के कारण इसी तरह की एक पूर्व घटना सामने आई है। सीआरएस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस घटना के बाद सुधारात्मक उपायों से बालासोर त्रासदी को रोका जा सकता था।
सीआरएस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने रेलवे सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों पर ‘पूरी तरह से समझौता’ किया है और यह ‘मानवीय त्रुटि’ प्रबंधन और राजनीतिक नेतृत्व की विफलता को उजागर करती है।
इस दुखद घटना के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी को उनके पद से हटा दिया गया और अनिल कुमार मिश्र को उनका उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। दुर्घटना में शामिल तीन ट्रेनें – कोलकाता-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी थीं।