अहमदाबाद, 9 जुलाई। भारत में यूनिसेफ की प्रमुख सिंथिया मेककेफरी ने ऐसे शहर बनाने पर जोर दिया है, जो बच्चों तथा युवाओं के लिए सुरक्षित, सुलभ और अनुकूल हों। उन्होंने कहा कि स्वच्छ आबोहवा, हरे-भरे स्थान तथा सुरक्षित वातावरण से न केवल बच्चों को बल्कि पूरे समुदाय को फायदा पहुंचेगा।
भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत सात-आठ जुलाई को गुजरात के गांधीनगर तथा अहमदाबाद शहरों में आयोजित शहरी 20 (यू20) मेयरल शिखर सम्मेलन में उन्होंने हिस्सा लिया। इस शिखर सम्मेलन में दुनिया के शहरों के भविष्य पर चर्चा की गई।
मेककेफरी ने कहा, ‘‘वर्तमान में 56 प्रतिशत से अधिक आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है। अनुमान के अनुसार 2050 तक वैश्विक आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा शहरों में बस चुका होगा जिससे शहरी आबादी में 2.5 अरब जनसंख्या और बढ़ जाएगी। ऐसा खासकर एशिया और अफ्रीका में होगा। इसका मतलब है कि 2050 तक शहरी क्षेत्रों में 1.6 अरब से अधिक बच्चे होंगे।’’
उन्होंने कहा कि हर हफ्ते दुनिया भर में करीब 1.4 अरब लोग शहरी क्षेत्रों में चले जाते हैं और उनमें से कई लोग अस्थायी बस्तियों में रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की भारत की प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘शहरी 20 (यू20) मेयरल शिखर सम्मेलन हमें ऐसे समावेशी शहरों का आधार तैयार करने का अवसर देता है जो सभी निवासियों की जरूरतों को पूरा करे।’’
सिंथिया ने बातचीत में भारतीय शहरों को बच्चों के अनुकूल बनाने के लिए क्या किया जाए के सवाल पर कहा, ‘‘भारत ने दो काम किए हैं। वे इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि शहरों को बच्चों तथा युवाओं के लिए कैसे सुरक्षित तथा अनुकूल बनाया जाए और वे इसके लिए प्रौद्योगिकियों को भी इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
अधिकारी ने कहा कि आजीविका के लिए बढ़ता पलायन एक हकीकत है। शहरों में बसने वालों में बच्चे अधिक संख्या में शामिल हैं। ग्रामीण से शहरी परिवेश में आते समय ये बच्चे अक्सर खुद को परिवार तथा सामुदाय से अलग-थलग महसूस करते हैं। ये अधिकतर अनौपचारिक बस्तियों में आकर रहते हैं।
मैककेफरी ने कहा कि इन बच्चों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा के लिए सेवाओं और इनके बीच की दूरी को कम करने के लिए एक बाल उत्तरदायी शहरी नियोजन की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे बच्चों के कल्याण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। मेककेफरी ने कहा कि हमारे शहरों तथा शहरी परिवेश में बच्चों के समग्र विकास तथा कल्याण के लिए बेहतर वातावरण, घर, स्कूल और शौचालयों की उचित व्यवस्था महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि सरकार और शहर प्रशासन शहरों को बच्चों के अनुकूल बनाने की दिशा में कई कदम उठा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ सरकारें कानून तथा नीतियां ला सकती हैं और उन्हें लागू कर सकती हैं, नगरपालिका कानूनों में संशोधन कर सकती हैं जो लैंगिक समानता, युवा सशक्तीकरण तथा शहरी वातावरण को बच्चों के अनुकूल बनाने में मदद करे।’’