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रूस को पीछे छोड़ सऊदी अरब बना भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल आपूर्तिकर्ता देश

रूस को पीछे छोड़ सऊदी अरब बना भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल आपूर्तिकर्ता देश

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नई दिल्ली, 15 सितम्बर। भारत को कच्चे तेल (क्रड ऑयल) की आपूर्ति की रेस में सऊदी अरब ने एकबार फिर रूस को पछाड़ दिया है और दूसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर देश बन गया है। हालांकि इस मामले में ईराक की बादशाहत अब तक कायम है। अगस्त में जारी डेटा के अनुसार सऊदी अरब तीन महीने के अंतराल बाद रूस को पछाड़कर भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा, जबकि इराक अब भी भारत को सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल की सप्लाई करता है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश

आकड़ों से पता चलता है कि भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है, जिसे सऊदी अरब से 863,950 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति होती है, जो पिछले महीने से 4.8% अधिक है, जबकि रूस से खरीद 2.4% गिरकर 855,950 बीपीडी हो गई है। सऊदी के लाभ के बावजूद भारत में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन से तेल का हिस्सा 59.8% तक गिर गया, जो कम से कम 16 वर्षों में सबसे कम है क्योंकि भारत ने अफ्रीकी आयात में कटौती की है।

चीन के बाद भारत अब रूस का नंबर 2 तेल खरीदार बना

इसी क्रम में चीन के बाद भारत अब रूस का नंबर 2 तेल खरीदार बन गया है क्योंकि फरवरी के अंत में यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के बाद अन्य ने खरीद में कटौती की है। अन्य देशों से आपूर्ति की तुलना में छूट पर कच्चे माल को सुरक्षित करने के इच्छुक दोनों देशों को मॉस्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के रूप में देखा जाता है।

जून में रिकॉर्ड टूटने के बाद रूस से भारत का मासिक तेल आयात घट रहा

रूस से भारत का मासिक तेल आयात जून में रिकॉर्ड तोड़ने के बाद घट रहा है क्योंकि मॉस्को ने अपने तेल के लिए दी जाने वाली छूट कम कर दी है जबकि रिफाइनर ने अधिक टर्म आपूर्ति उठा ली है। अगस्त में भारत का कुल क्रूड आयात घटकर पांच महीने के निचले स्तर 4.45 मिलियन बीपीडी पर आ गया, जो जुलाई से 4.1% कम था। ऐसा कुछ रिफाइनरियों में रखरखाव के कारण था।

आकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से कजाखस्तान, रूस और अजरबैजान से कैस्पियन समुद्री तेल के अधिक सेवन ने अफ्रीका और अन्य देशों से भारत की खरीद को प्रभावित किया है। अगस्त में अफ्रीकी तेल का हिस्सा आधा होकर 4.2% हो गया जबकि लैटिन अमेरिका का हिस्सा लगभग 7.7% से गिरकर 5.3% हो गया।

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