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RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ व ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की वकालत की

RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ व ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की वकालत की

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नई दिल्ली, 26 जून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने गुरुवार को संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की वकालत की। इसके साथ ही उन्होंने 50 वर्ष पहले इंदिरा गांधी के शासनकाल में थोपे गए आपातकाल के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा।

दत्तात्रेय होसबोले ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के डॉ. आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। इसी कार्यक्रम में उन्होंने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ राम बहादुर राय द्वारा लिखित एक पुस्तक का विमोचन भी किया।

उल्लेखनीय है कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आपातकाल की घोषणा की थी। 21 महीने की अवधि – जो 21 मार्च 1977 तक चली – में नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया और विपक्षी नेताओं और प्रेस की स्वतंत्रता पर क्रूर काररवाई की गई।

होसबाले ने अपने संबोधन के दौरान इस पर विचार करने की जोरदार वकालत की कि क्या आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकार द्वारा संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को बरकरार रखा जाना चाहिए या नहीं।

जिनकी पार्टी ने आपातकाल थोपा, वे आजकल संविधान की प्रति लेकर घूम रहे

कांग्रेस से आपातकाल लगाने के लिए माफी मांगने की मांग करते हुए उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने ऐसा किया, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं। उन्होंने अब तक माफी नहीं मांगी है। आपके पूर्वजों ने ऐसा किया। आपको इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।’

आपातकाल के दिनों को याद करते हुए आरएसएस नेता ने कहा कि उस दौरान हजारों लोगों को जेल में डाला गया और उन पर अत्याचार किए गए, वहीं न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाया गया। होसबाले ने कहा, ‘आपातकाल के दिनों में बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी भी की गई।’

होसबाले की यह टिप्पणी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को 25 जून को आपातकाल लागू होने की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाए जाने के बाद आई है।

केंद्र सरकार ने इस अवसर पर 1975 से 1977 तक लगभग दो वर्षों तक ‘अमानवीय पीड़ा’ सहने वालों के ‘बड़े योगदान’ को याद किया। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल लागू किए जाने को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक बताया और कहा कि कांग्रेस ने न केवल संविधान की भावना का उल्लंघन किया, बल्कि ‘लोकतंत्र को बंधक’ बना दिया।

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर एक्स पर पोस्ट की एक श्रृंखला में, पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि इस अवधि के दौरान संसद की आवाज को कैसे दबाया गया और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया।

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