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यूपी विधानसभा में क्षेत्रीय भाषाओं की गूंज, भाजपा नेताओं ने ब्रज, भोजपुरी और अवधी में दिया भाषण, अंग्रेजी पर विवाद

यूपी विधानसभा में क्षेत्रीय भाषाओं की गूंज, भाजपा नेताओं ने ब्रज, भोजपुरी और अवधी में दिया भाषण, अंग्रेजी पर विवाद

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लखनऊ, 19 फरवरी। ‘अध्यक्ष जी, आज जे जो आपको प्रयास हौ..इत्ते हमारो मन बहुत अच्छा कर दियो..। अब ब्रज भाषा से छोटे-बाल गोपाल भी जुड़ जाएंगे..। अध्यक्ष जी, हम लोग ब्रजवासी तो वैसे अपने कृष्णा से ही लाड लड़ाते हैं, लेकिन आज तुमसे लाड लड़ाने का मन कर रहा हौ। इते चाहे पल्ली तरफ के सदस्य हों या इत्ते के सभी अपनी जड़ों से जुड़ जावेंगे..।’ पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बुधवार को विधानसभा में नियम समिति के पहले प्रतिवेदन को सदन में प्रस्तुत करते हुए ये बातें ब्रज भाषा में कहीं।

दरअसल, कार्य-संचालन नियमावली में संशोधन कर विधानसभा में अवधी, ब्रज, बुंदेली और भोजपुरी भाषा के साथ अंग्रेजी को भी संबोधन के लिए मान्यता दी जा रही है। इसके लिए नियम समिति ने अपनी मंगलवार को हुई बैठक में इस नियमावली में बदलाव की सहमति दी थी। श्रीकांत शर्मा ने शून्य काल में इस संशोधन को प्रस्तुत करते हुए ब्रज भाषा में संबोधन किया।

अध्यक्ष सतीश शर्मा ने इसके बाद मनोज कुमार पाण्डेय को अपनी बात रखने का मौका दिया तो मनोज भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने अवधी में संबोधन किया। बोले – ‘हमका तो अचरज भा..और दुख भी भा…हम तो अवधी में ही बोलब..चाहे घरा में रही या फिर बच्चन से या रिश्तेदारन से..चाहे मेहरारू से..।’ मनोज बोले – ‘कल सदन के बाद तो हमरे पास सौ से ज्यादा फोन आए..लोग पूछत रहे कि आखिर कौन है, जो हमरी बोली का विरोध कर रहा है।’

इसके बाद तो बलिया से भाजपा विधायक केतकी सिंह ने सदन में अपनी भोजपुरी से सबका मन जीत लिया। वह बोलीं – ‘जो चाहे सुनें बस बटन दबाएं, मन चाही बोली सुनें..। जो न सुनल चाहे ऊ चुपचाप घर जाई..।’

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने अंग्रेजी पर जताई आपत्ति

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा, ‘मेरे दल को किसी भी स्थानीय भाषा को शामिल करने का विरोध नहीं है, लेकिन हम अंग्रेजी को संबोधन की भाषा के रूप में शामिल करने पर आपत्ति है। अंग्रेजी को कामकाज की भाषा से हटाने के लिए काफी संघर्ष किया गया है। हम लोग जेल भी गए हैं। मैंने कल कहा था कि अगर जोड़ना ही है तो इस क्रम में संस्कृत व उर्दू को भी जोड़ दिया जाए, लेकिन सदन में उर्दू पढ़ने वालों को लेकर जो कहा गया, उसका हम विरोध करते हैं।’

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