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IMF में भारत के कार्यकारी निदेशक की भविष्यवाणी – भारतीय अर्थव्यवस्था के 2047 तक 8% की दर से बढ़ने की उम्मीद

IMF में भारत के कार्यकारी निदेशक की भविष्यवाणी – भारतीय अर्थव्यवस्था के 2047 तक 8% की दर से बढ़ने की उम्मीद

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नई दिल्ली, 28 मार्च। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यन ने कहा है कि यदि देश पिछले 10 वर्षों में लागू की गई अच्छी नीतियों को दोगुना कर सके और सुधारों में तेजी ला सके तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक आठ प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। उनका यह भी कहना है कि स्पष्ट रूप से आठ प्रतिशत की वृद्धि दर महत्वाकांक्षी है क्योंकि भारत पहले लगातार आठ प्रतिशत की दर से नहीं बढ़ पाया है, लेकिन इसे हासिल किया जा सकता है।

कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यन ने टाइम्स नाउ शिखर सम्मेलन में कहा, ‘मूल विचार यह है कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में जिस तरह की वृद्धि दर्ज की है, यदि हम उन अच्छी नीतियों को दोगुना कर सकते हैं, जिन्हें हमने पिछले 10 वर्षों में लागू किया है और सुधारों में तेजी ला सकते हैं, तो भारत 2047 तक आछ प्रतिशत की दर से ग्रोथ कर सकता है।’ भारत की अर्थव्यवस्था 2023 के अंतिम तीन महीनों में उम्मीद से बेहतर 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले डेढ़ वर्ष में सबसे तेज गति है।

अक्टूबर-दिसम्बर में विकास दर ने चालू वित्त वर्ष के अनुमान को 7.6 प्रतिशत तक ले जाने में मदद की। सुब्रमण्यन ने कहा, ‘यदि भारत आठ प्रतिशत की दर से बढ़ता है तो 2047 तक वह 55 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।’ उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक रूप से 1991 के बाद से, भारत की औसत वृद्धि सात प्रतिशत से थोड़ी अधिक रही है।

भारत को अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत

सुब्रमण्यम ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है क्योंकि देश की जीडीपी का लगभग 58 प्रतिशत घरेलू उपभोग से आता है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए, आप जानते हैं, हमारे पास क्षमता है। यदि हम पर्याप्त नौकरियां पैदा कर सकें तो आप जानते हैं, इससे बहुत अधिक खपत होगी।’

कृष्णमूर्ति ने रोजगार सृजन के लिए विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि भूमि, श्रम, पूंजी और लॉजिस्टिक में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही हमें विनिर्माण क्षेत्र के लिए ऋण प्रदान करने के लिए अपने बैंकिंग क्षेत्र में भी सुधार की आवश्यकता है।’

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