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पाक पीएम इमरान खान की तालिबान को फिर चेतावनी – नहीं माने तो छिड़ सकता है गृहयुद्ध

पाक पीएम इमरान खान की तालिबान को फिर चेतावनी – नहीं माने तो छिड़ सकता है गृहयुद्ध

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नई दिल्ली, 23 सितम्बर। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान में समावेशी सरकार के गठन को लेकर एक बार फिर तालिबान को चेतावनी दी कि यदि वह नहीं माना तो मुल्क में गृहयुद्ध छिड़ सकता है।

इमरान खान ने बीबीसी नेटवर्क को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान यदि समावेशी सरकार बनाने में नाकाम रहता है तो देश में गृहयुद्ध की आशंका काफी बढ़ सकती है। यदि तालिबान सभी के साथ और विकास की बात नहीं करते हैं तो धीरे-धीरे नौबत गृहयुद्ध की आ सकती है और अगर वे सभी गुटों को साथ लेकर नहीं चलते तो इससे पाकिस्तान पर भी काफी प्रभाव पड़ सकता है।

इमरान के पूर्व सुझाव पर तालिबान दे चुका है तीखी प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी पीएम इमरान ने कुछ समय पहले भी सुझाव दिया था कि तालिबान को अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलना चाहिए और एक समावेशी सरकार व समाज का निर्माण करना चाहिए। हालांकि, तालिबान ने इमरान खान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ‘किसी भी देश को यह हक नहीं है कि वह तालिबान को समझाए कि हमें सरकार कैसे चलानी है।’

गृहयुद्ध की स्थिति में बढ़ेगा मानवीय और रिफ्यूजी संकट

इमरान खान की सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि अफगानिस्तान में गृहयुद्ध होता है तो मानवीय और रिफ्यूजी संकट में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इसके अलावा उन्हें यह भी डर है कि गृहयुद्ध की स्थिति में अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए भी हो सकता है।

पाकिस्तान ने तालिबान को अब तक नहीं दी है मान्यता

गौरतलब है कि वर्ष 1996 से 2001 के बीच तालिबान के पहले कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान उसका अहम सहयोगी था। हालांकि अफगानिस्तान में तालिबान के दूसरे कार्यकाल के दौर में पाकिस्तान ने अब तक इस संगठन को मान्यता नहीं दी है।

इमरान खान ने कहा कि तालिबान को मान्यता तीन कारणों पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा, ‘हम सभी ने एससीओ में फैसला किया था कि हम सामूहिक रूप से तालिबान को मान्यता देने का फैसला करेंगे और ये फैसला इस बात पर निर्भर होगा कि तालिबान की सरकार कितनी समावेशी होगी, वे मानव अधिकारों को लेकर कितना संवेदनशील होंगे और वे अफगानिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे क्योंकि अफगानिस्तान के पड़ोसी देश इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चिंता में हैं।

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