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मनसे प्रमुख राज ठाकरे बोले – ‘बालासाहेब जो ना कर सके, वह फडणवीस ने कर दिया, हम भाइयों को साथ खड़ा कर दिया’

मनसे प्रमुख राज ठाकरे बोले – ‘बालासाहेब जो ना कर सके, वह फडणवीस ने कर दिया, हम भाइयों को साथ खड़ा कर दिया’

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मुंबई, 5 जुलाई। मायानगरी के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में शनिवार को शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की संयुक्त रैली के जरिए लगभग 20 वर्षों बाद किसी मंच पर साथ दिखे चचेरे ठाकरे बंधु – उद्धव ठाकरे व राज ठाकरे की एकजुटता महाराष्ट्र की राजनीति में क्या तस्वीर प्रस्तुत करेगी, यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल हिन्दी विरोध के नाम पर आयोजित इस ‘मराठी विजय रैली’ में दोनों भाइयों ने हुंकार भरते हुए भाजपा की अगुआई वाली सत्तारूढ़ महायुति सरकार को चुनौती दी और यहां तक दावा कर दिया कि वे साथ मिलकर मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र की सत्ता पर कब्जा करेंगे।

हमें इस्तेमाल करके फेंकने वालों को अब हम फेंकेंगे

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस अवसर पर कहा, ‘जो काम बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, वह आज देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया। उन्होंने हम दोनों भाइयों को साथ खड़ा कर दिया।’ वहीं, उद्धव ठाकरे ने भी राज ठाकरे के सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा, ‘हम क्या कहते हैं, इससे ज्यादा जरूरी है यह है कि हम साथ हैं। हम साथ आए हैं और साथ ही रहेंगे। हमें इस्तेमाल करके फेंकने वालों को अब हम फेंकेंगे।’

एकनाथ शिंदे पर भी निशाना

उद्धव ठाकरे ने अपने पुराने सहयोगी और मौजूदा समय राज्य के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘आपने हमें बहुत इस्तेमाल कर लिया है। यदि आपके पास बालासाहेब ठाकरे का समर्थन न होता तो आपको महाराष्ट्र में कौन जानता? आप हमें हिन्दुत्व सिखाने वाले हैं कौन? जब मुंबई में दंगे हो रहे थे, मराठा लोगों ने महाराष्ट्र में सभी हिन्दुओं को बचाया था, चाहे वो कोई भी होंगे। यदि आप विरोध के लिए, न्याय पाने के लिए लड़ रहे मराठी लोगों को गुंडा कह रहे हैं तो ठीक है, हम गुंडा हैं।

हिन्दी भाषा अच्छी, लेकिन थोपा जाना बर्दाश्त नहीं

इससे पहले राज ठाकरे ने कहा, ‘हिन्दी अच्छी भाषा है। हमें हिन्दी अच्छी लगती है। सारी भाषाएं अच्छी हैं। लेकिन हिन्दी भाषा को थोपा जाना बर्दाश्त नहीं।’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठी लोगों की मजबूत एकता के कारण त्रिभाषा फार्मूले पर फैसला वापस लिया। त्रिभाषा फॉर्मूले पर फैसला मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश का मुख्य हिस्सा था।

मराठी भाषा को लेकर कोई समझौता नहीं

राज ठाकरे ने आगे कहा, ‘भाषा का व्यक्ति से क्या लेना-देना? बालासाहेब ठाकरे और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई की। बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई की, अंग्रेजी अखबार में काम किया, लेकिन मराठी को लेकर कभी समझौता नहीं किया। दक्षिण भारत के कई राजनीतिक नेता और फिल्मी हस्तियां अंग्रेजी विद्यालयों में पढ़ीं, लेकिन उन्हें तमिल और तेलुगु भाषा पर गर्व है। लालकृष्ण आडवाणी ने सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में पढ़ाई की, जो एक मिशनरी स्कूल था, लेकिन उनके हिन्दुत्व पर शक कर सकते हैं?’

महाराष्ट्र से बड़ा कोई मुद्दा नहीं

मनसे चीफ ने कहा कि महाराष्ट्र से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। महाराष्ट्र के लिए जो कर सकते हैं, करेंगे। उन्होंने महायुति सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाषा के बाद ये लोग जाति की राजनीति करेंगे। ये मराठी लोगों को कभी एक साथ नहीं आने देंगे। हिन्दी बोलने वाले राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। लोग वहां से भागकर गैर हिन्दीभाषी प्रदेशों की तरफ आ रहे हैं। क्यों नहीं हिन्दी ने इन राज्यों को आगे बढ़ने में मदद की?

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