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यूपी : गैंगस्टर केस में माफिया मुख्‍तार अंसारी को 10 वर्षों की सजा और पांच लाख का जुर्माना

यूपी : गैंगस्टर केस में माफिया मुख्‍तार अंसारी को 10 वर्षों की सजा और पांच लाख का जुर्माना

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गाजीपुर, 29 अप्रैल। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम/एमपी-एमएलए कोर्ट ने गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी और उनके माफिया भाई व पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी पर चल रहे 15 वर्ष पुराने गैंगस्टर के मुकदमे में शनिवार को फैसला सुनाया गया। इस केस में मुख्‍तार अंसारी को दस वर्षों की कैद और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा है। अफजाल पर भी आज ही फैसला सुनाया जाएगा।

गैंगस्टर के मामले में पुलिस ने वर्ष 29 नवम्बर, 2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय, उनके गनर सहित सात लोगों की बसनिया गांव के सामने गोलियों से भूनकर हत्या करने का मुकदमा को भी आधार बनाया था। इसके अलावा कोयला व्यवसायी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण कांड को भी शामिल किया था। हालांकि इन दोनों मामले में अंसारी बंधु बरी हो चुके है।

वहीं स्थानीय सांसद अफजाल अंसारी के मुकदमे में कोर्ट के फैसले को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। एसपी आफिस के पास बैरिकेड़िंग कर दी गई है। नगर के लंका स्टैंड, सिंचाई विभाग चौराहा, शास्त्रीनगर, नगरपालिका चौराहा समेत अन्य स्थानों पर भारी पुलिस बल लगा हुआ है।

गौरतलब है कि 22 नवंबर, 2007 को मुहम्मदाबाद पुलिस ने भांवरकोल और वाराणसी के मामले को गैंग चार्ट में शामिल करते हुए सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी के खिलाफ गिरोह बंद अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर हैं। 23 सितम्बर, 2022 को सांसद अफजाल अंसारी एवं मुख्तार अंसारी के विरुद्ध न्यायालय में प्रथम दृष्टया आरोप तय हो चुका है।

अभियोजन की तरफ से गवाही पूरी होने के बाद बहस पूरी हो गई। फैसले के लिए कोर्ट ने 15 अप्रैल की तिथि नियत की थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण फैसला नहीं आ सका था। आज फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की गई थी।

अफजाल अंसारी की राजनीति पर एक नजर

गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी वैसे तो छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे, लेकिन उन्होंने सक्रिय राजनीति में भागीदारी वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव से की। पहली बार वह वर्ष 1985 में भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने। इसके बाद उनका जीत का सिलसिला 1989, 91, 93 व 96 तक चलता रहा। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के कृष्णानंद राय से चुनाव हार गए। वह वर्ष 1993, 96 व 2002 का चुनाव सपा के टिकट पर लड़े।

विधान सभा चुनाव हारने के बाद सपा ने अफजाल अंसारी को वर्ष 2004 में लोकसभा का टिकट दिया। इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के मनोज सिन्हा को हराया। इस बीच 29 नवंम्बर, 2005 को विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद जेल चले गए। जेल जाने के दौरान सपा से राजनीतिक मतभेद होने के बाद वह वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव गाजीपुर संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर लड़े और चुनाव हार गये। इसके पश्चात उन्होंने अपना कौमी एकता दल बनाया। वर्ष 2014 में बलिया संसदीय सीट से चुनाव लड़े, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके पश्चात वह 2019 में गाजीपुर संसदीय सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सपा-बसपा गठबंधन से चुनाव लड़े और तत्कालीन केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को हराकर सांसद बने। मनोज सिन्हा संप्रति जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल हैं।

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