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केरल की अदालत ने अलुवा दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी को सुनाई मौत की सजा

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कोच्चि, 14 नवम्बर। केरल की एक अदालत ने अलुवा में बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में दोषी व्यक्ति को मंगलवार को मौत की सजा सुनाई। लोक अभिययेजक जी मोहनराज ने बताया कि विशेष पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अदालत के न्यायाधीश के. सोमन ने बिहार निवासी पांच वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी प्रवासी मजदूर अश्वाक आलम को मौत की सजा देने का फैसला किया। अभियोजक ने बताया कि केरल उच्च न्यायालय से पुष्टि के बाद मौत की सजा दी जाएगी।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि बाल दिवस पर मामले में दी गई सजा को बच्चों के खिलाफ हिंसा करने वालों के लिए कड़ी चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्ची जघन्य अपराध का शिकार हुई और इसलिए, पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली ने अपराधी को पकड़ने और उसके लिए अधिकतम सजा सुनिश्चित करने के लिए कुशलतापूर्वक काम किया।

विजयन ने कहा कि हालांकि, माता-पिता को जो क्षति हुई उसकी भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन सरकार ने उन्हें हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) एम आर अजित कुमार ने भी दोषी को दी गई सजा पर संतोष व्यक्त किया। सजा सुनाए जाने के बाद अदालत के बाहर कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि यह एक ऐसा मामला था जिसने केरल की अंतरात्मा को झकझोर दिया और सरकार शुरू से ही दोषी के लिए अधिकतम सजा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध थी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘यह दुर्लभतम मामलों में से एक है और अभियोजन पक्ष इसे सफलतापूर्वक साबित करने में सक्षम रहा। जांच 30 दिनों में पूरी की गई। घटना के 100वें दिन आरोपी को दोषी ठहराया गया और आज 110वां दिन है। यह आपराधिक न्याय प्रणाली की मजबूती को दिखाता है।’’ राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी फैसले पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि इससे समाज को कड़ा संदेश मिलेगा कि बच्चों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी को अधिकतम सजा की उम्मीद थी और अदालत ने वह सजा दी।’’ मंत्री ने इस बात की सराहना की कि जांच और मुकदमा ‘‘रिकॉर्ड समय’’ में पूरा किया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक होने और उनकी रक्षा करने की जरूरत है। इस बीच, मामले के एक चश्मदीद गवाह ने दोषी को सजा दिए जाने पर खुशी व्यक्त की और लोगों को मिठाइयां बांटीं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मासूम बच्ची की आत्मा को अब शांति मिलेगी।’’ यह सजा ऐसे दिन सुनाई गई है जब पूरा देश आज बाल दिवस मना रहा है। आज पॉक्सो अधिनियम को लागू हुए 11 वर्ष भी हो गए हैं। यह अधिनियम 14 नवंबर 2012 को लागू किया गया था। जिस समय दोषी आलम को सजा सुनाई गई, उस वक्त बच्ची के माता-पिता अदालत में ही मौजूद थे। आलम को चार नवंबर को दोषी ठहराया गया था।

अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है और इसलिए दोषी को मौत की सजा दी जानी चाहिए। इसने कहा था कि सजा पर बहस के दौरान, आलम ने अदालत में दावा किया था कि अन्य आरोपियों को छोड़ दिया गया तथा केवल उसे ही मामले में पकड़ा गया और इसके अलावा, उसने कोई अन्य दलील नहीं दी। अदालत ने आलम को आरोपपत्र में लगाए गए सभी 16 अपराधों का दोषी पाया था।

अभियोजन पक्ष ने पूर्व में कहा था कि 16 में से पांच अपराधों में मौत की सजा का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई को बच्ची का उसके किराए के घर से अपहरण कर लिया गया था और फिर दुष्कर्म के बाद गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई थी। बच्ची का शव पास के अलुवा में एक स्थानीय बाजार के पीछे दलदली इलाके में फेंक दिया गया था। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दोषी को गिरफ्तार किया गया था।