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भारत की दो टूक – ‘वर्तमान में चीन के साथ हमारे रिश्ते सामान्य नहीं, एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक मौजूद’

भारत की दो टूक – ‘वर्तमान में चीन के साथ हमारे रिश्ते सामान्य नहीं, एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक मौजूद’

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नई दिल्ली, 25 मार्च। भारत-चीन के बीच जारी तनावपूर्ण संबंधों को लेकर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की। इस मीटिंग के बाद मीडिया से मुखातिब जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में चीन से भारत के रिश्ते सामान्य नहीं है। जब तक सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।

गौरतलब है कि इस्लामाबाद में इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) की बैठक में जम्मू-कश्मीर पर बयान देने के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी बिना किसी पूर्व सूचना के गुरुवार देर शाम दिल्ली पहुंच गए था। आज उनकी विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल सहित अन्य कुछ मंत्रियों से मुलाकात हुई।

विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा, “वर्तमान स्थिति को मैं एक ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ कहूंगा। हालांकि यह धीमी गति से हो रहा है… इसे आगे ले जाने की आवश्यकता है क्योंकि एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए यह आवश्यक है। 1993-96 के समझौतों का उल्लंघन हुआ है, जिसमें एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी है। इसको देखते हुए हमारे संबंध (वर्तमान में चीन के साथ) सामान्य नहीं हैं।”

मैंने वांग को समझा दिया कि हमें उनका बयान क्यों आपत्तिजनक लगा

इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) सम्मेलन में वांग यी के बयान पर पूछे गए सवाल पर जयशंकर ने कहा, ‘हां यह सवाल आया था। मैंने इसका जिक्र किया। मैंने उन्हें समझाया कि हमें वह बयान आपत्तिजनक क्यों लगा। यह एक ऐसा विषय था, जिस पर कुछ देर तक चर्चा हुई। एक बड़ा संदर्भ भी था। मैंने बताया कि हम आशा करते हैं कि चीन-भारत के संबंध में एक स्वतंत्र नीति का पालन किया जाएगा और अपनी नीतियों को अन्य देशों और अन्य संबंधों से प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।’

चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के भविष्य पर भी चर्चा हुई

वहीं चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैंने चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की दुर्दशा को भी दृढ़ता से रखा, जिन्हें कोविड प्रतिबंधों का हवाला देते हुए वापस जाने की अनुमति नहीं है। हमें उम्मीद है कि चीन भेदभाव रहित रुख अपनाएगा क्योंकि इसमें कई युवाओं का भविष्य शामिल है।’

उन्होंने कहा, ‘चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुझे आश्वासन दिया कि वापस जाने के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे। उन्होंने इस कठिन परिस्थिति में मेडिकल छात्रों की विशेष चिंताओं को भी समझा है।’

डॉ. जयशंकर ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच क्वाड पर चर्चा नहीं हुई। जियो पॉलिटिक्स में क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक समूह) को चीन के खिलाफ देखा जाता है। उन्होंने बताया, ‘यूक्रेन पर हमने अपने-अपने दृष्टिकोणों और परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की, लेकिन सहमति व्यक्त की कि डिप्लोमेसी और बातचीत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।’

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