रोहिंग्या शरणार्थियों को EWS फ्लैट में शिफ्ट करने के सरकार फैसले पर फिल्म निर्माता अशोक पंडित व नूपुर शर्मा ने जताई नाराजगी
नई दिल्ली, 17 अगस्त। फिल्म निर्माता अशोक पंडित और भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने केंद्र सरकार के रोहिंग्या शरणार्थियों को EWS (आर्थिक कमजोर वर्ग) फ्लैट में शिफ्ट करने के फैसले पर नाराजगी जताई है। अशोक पंडित ने जहां इसके लिए सरकार को आगाह किया तो वहीं नूपुर शर्मा ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन 1951 के हस्ताक्षरकर्ता नहीं है और इसके लिए बाध्य भी नहीं है।
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने केंद्र के फैसले की जानकारी दी
इसके पहले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने केंद्र के इस फैसले की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है, जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उन्हें मूलभूत सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और चौबीसों घंटे @DelhiPolice सुरक्षा प्रदान की जाएगी।’
India has always welcomed those who have sought refuge in the country. In a landmark decision all #Rohingya #Refugees will be shifted to EWS flats in Bakkarwala area of Delhi. They will be provided basic amenities, UNHCR IDs & round-the-clock @DelhiPolice protection. @PMOIndia pic.twitter.com/E5ShkHOxqE
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) August 17, 2022
अशोक पंडित बोले – भारत को इसका खामियाजा बाद में भुगतना पड़ेगा
फिलहाल अशोक पंडित ने हरदीप सिंह पुरी की इस खबर को रीट्वीट करते हुए सरकार को आगाह किया कि भारत को इसका खामियाजा बाद में भुगतना पड़ेगा।
अशोक पंडित ने ट्वीट में लिखा – ‘सर, यह एक भूल है। इसका खामियाजा भारत को बाद में भुगतना पड़ेगा। हम उन्हें किससे बचा रहे हैं? कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी हैं, जम्मू में आज भी दयनीय स्थिति में हैं। कृपया कश्मीर में जगती और कश्मीरी पंडितों की कॉलोनियों में जाएं। दुखद।’
भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन 1951 के हस्ताक्षरकर्ता नहीं – नूपुर शर्मा
वहीं हजरत मोहम्मद पर कथित विवादित टिप्पणी को लेकर भाजपा से छह वर्षों के लिए निलंबित चल रहीं नूपुर शर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा – ‘भारत बाध्य नहीं है। हम संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन 1951 के हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं। भारत के लिए अच्छा होगा कि केवल सीएए को सही ठहराने के लिए, वह ऐसे तत्वों के साथ एक खतरनाक रास्ते पर न जाए, जो महत्वपूर्ण सुरक्षा खतरा पैदा करते हैं। जहां वैश्विक गिरोह नहीं चाहता था कि हिन्दू अपने प्राकृतिक घर में लौट आएं।’
अस्थायी टेंटों में रह रहे हैं लगभग 1,100 रोहिंग्या शरणार्थी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टेंटों में रहने वाले लगभग 1,100 रोहिंग्याओं को जल्द ही बुनियादी सुविधाओं और 24 घंटे सुरक्षा से लैस फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। जुलाई के अंतिम सप्ताह के दौरान हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया था कि दिल्ली सरकार मदनपुर खादर इलाके में रोहिंग्याओं के शिविर में आग लगने की घटना के बाद टेंट के लिए लगभग सात लाख रुपये प्रति माह का किराया वहन कर रही है।
इन शरणार्थियों को जल्द ही बाहरी दिल्ली के बक्करवाला गांव में नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) के फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। आर्थिक कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी से संबंधित कुल 250 फ्लैट हैं, जहां सभी 1,100 रोहिंग्या अभी मदनपुर में रह रहे हैं।