चुनावी बॉन्ड योजना : भाजपा ने 5 वर्षों में सर्वाधिक 5,271 करोड़ रुपये चंदा बटोरा, कांग्रेस को मिले 952 करोड़
नई दिल्ली, 15 फरवरी। उच्चतम न्यायालय द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना रद किए जाने के फैसले से सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सर्वाधिक चोट लगी है क्योंकि इन्हीं दो पार्टियों ने चुनावी बॉन्ड से सबसे ज्यादा चंदा बटोरा है।
चुनाव आयोग को दी गई घोषणा पर गौर करें तो चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने के बाद से छह वर्षों में बॉन्ड के माध्यम से दी गई धनराशि का आधे से अधिक या 57%, भाजपा के पास गया है। घोषणा के अनुसार भाजपा को 2017-2022 के बीच बॉन्ड के माध्यम से 5,271.97 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। कांग्रेस 952.29 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर रही। हालांकि चुनाव आयोग को वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए पार्टियों की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करना बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिन में यह कहते हुए चुनावी बॉन्ड योजना को रद किया कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है। दूरगामी परिणाम वाले इस ऐतिहासिक फैसले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को छह वर्ष पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश दिए गए।
एसबीआई को दिए निर्देश के अनुसार जानकारी में यह भी शामिल होना चाहिए कि किस तारीख को यह बॉन्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी। साथ ही पूरा विवरण छह मार्च तक निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश किया जानका चाहिए। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिए। चुनाव आयोग को वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए पार्टियों की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करना बाकी है।
उल्लेखनीय है कि दो जनवरी, 2018 को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अधिसूचित योजना के तहत चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या भारत में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। इसे नकद दान के विकल्प के रूप में और राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के तरीके के रूप में पेश किया गया था।
2017 से 22 के बीच की अवधि में बेचे गए 9,208.23 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2017-2018 और 2021-2022 के बीच की अवधि में 9,208.23 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए। पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए वार्षिक ऑडिटेड अकाउंट स्टेटमेंट के विश्लेषण से पता चलता है कि 2017-2018 से 2021-2022 तक भाजपा को बांड के माध्यम से योगदान का मूल्य 5,271.97 करोड़ रुपये है।
पिछले कुछ वर्षों में टीएमसी ने चुनावी बॉन्ड से बटोरे हैं 767.88 करोड़
राज्यों में सत्ता में मौजूद क्षेत्रीय दल भी चुनावी बॉन्ड फंड के बड़े प्राप्तकर्ता हैं, 2011 से पश्चिम बंगाल में सरकार में रही तृणमूल कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों में 767.88 करोड़ रुपये के योगदान की घोषणा की है, जो इसे भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरे स्थान पर रखती है।
ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल ने 2018-2019 और 2021-2022 के बीच चुनावी बॉन्ड में 622 करोड़ रुपये मिलने की घोषणा की। 2021 से तमिलनाडु में सत्ता पर काबिज डीएमके ने 2019-2020 से 2021-2022 तक तीन वर्षों में 431.50 करोड़ रुपये के योगदान की घोषणा की।