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बारामूला में गरजे अमित शाह – पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं, मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद होंगे जम्मू-कश्मीर में चुनाव

बारामूला में गरजे अमित शाह – पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं, मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद होंगे जम्मू-कश्मीर में चुनाव

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श्रीनगर, 5 अक्टूबर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर मसले पर पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत से इनकार करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद चुनाव कराए जाएंगे।

जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे के आखिरी दिन बुधवार को उत्तरी कश्मीर के बारामूला में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करेगी और इसे देश का सबसे शांतिपूर्ण स्थान बनाएगी। उन्होंने सवाल किया कि, क्या आतंकवाद ने कभी किसी को फायदा पहुंचाया है? उन्होंने कहा कि 1990 के बाद से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद ने 42,000 लोगों की जान ली है।

अमित शाह ने कहा, ‘कुछ लोग कहते हैं कि हमें पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। हमें पाकिस्तान से बात क्यों करनी चाहिए? हम कोई बातचीत नहीं करेंगे। हम बारामूला के लोगों से बात करेंगे, हम कश्मीर के लोगों से बात करेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग द्वारा संशोधित मतदाता सूची के प्रकाशन की कवायद पूरी होने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव पूरी पारदर्शिता के साथ कराए जाएंगे।

जम्मू-कश्मीर में विकास नहीं होने के लिए सिर्फ 3 परिवार जिम्मेदार

जम्मू-कश्मीर में कथित रूप से विकास नहीं होने के लिए अमित शाह ने फारूख अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी) और नेहरू-गांधी (कांग्रेस) परिवारों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उनका शासनकाल कुशासन और भ्रष्टाचार से भरा हुआ था और उन्होंने विकास नहीं किया। गौरतलब है कि 1947 में देश की आजादी के बाद से इन तीनों दलों ने ही ज्यादातर समय तत्कालीन राज्य में शासन किया।

‘कश्मीर को देश की सबसे शांतिपूर्ण जगह बनाना चाहते हैं

अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करती है और वह इसका अंत और सफाया करना चाहती है ताकि यह भारत का स्वर्ग बना रहे। उन्होंने कहा, ‘हम जम्मू कश्मीर को देश की सबसे शांतिपूर्ण जगह बनाना चाहते हैं। कुछ लोग अक्सर पाकिस्तान के बारे में बात करते हैं, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कितने गांवों में बिजली कनेक्शन हैं। हमने पिछले तीन सालों में सुनिश्चित किया है कि कश्मीर के सभी गांवों में बिजली कनेक्शन हों।’

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