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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही को आसान बनाने के लिए निर्मित की जा रही विशेष सुरंग

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही को आसान बनाने के लिए निर्मित की जा रही विशेष सुरंग

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उज्जैन, 3 अक्टूबर (पीटीआई)। उज्जैन महाकालेश्वर लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक है। यहां बड़ी संख्या में आने वाले भक्तों के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा सुविधाओं को और अधिक आसान बनाने का काम किया जा रहा है। इस क्रम में मंदिर के परिसर में एक खास सुरंग बनाई जा रही है।
12 ज्योतिर्लिंगों या भगवान शिव के प्रमुख पूजा स्थलों में से एक महाकालेश्वर में रोजाना भक्तों की भारी भीड़ आती है।जो कार्यावधि जो है वो बची हुई है। इस काम को पूरा करने में आठ से नौ महीने करीब लगे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक ‘श्री महाकाल महालोक’ कॉरिडोर के दूसरे चरण में नीलकंठ, शक्तिपथ, अन्ना, महाराजवाड़ा परिसर और छोटा रुद्रसागर इलाके के विकास कार्य शामिल हैं। इसके बाद आगामी तीसरे चरण में और ज्यादा विकास कार्य किए जाएंगे। प्रोजेक्ट के तहत मंदिर परिसर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कैमरे लगाए गए हैं।ये कैमरे अत्याधुनिक कंट्रोल रूम से जुड़े हैं, जहां से भीड़ पर लगातार निगरानी रख कर उसे मैनेज किया जाता है।
टनल बनने के बाद 7 से 8 लाख लोग सुमगता से दर्शन कर सकेंगे
सामान्यतः एक दिन में दो लाख दर्शनार्थी सुगमता से दर्शन करते हैं। जैसे ही दो लाख से संख्या बढ़ती है, थोड़ी भीड़ बढ़ जाती है। लेकिन तीन लाख लोगों से ज्यादा के दर्शन कराने में बहुत ज्यादा दिक्कत होती है। अब जो नई व्यवस्था बन रही है, इसमें टनल के बाद सात से आठ लाख लोगों को सुगमता पूर्वक दर्शन हो सकेंगे।”

“नागरिक सुविधाएं जुटाने का लक्ष्य है फेज थ्री में। बाबा महाकाल की कृपा से अब प्रबंध समिति के पास रिसोर्स इतने पर्याप्त हैं कि हम उस पर काम कर सकते हैं। वैसे भी केंद्र शासन और राज्य शासन का बहुत सहयोग मिला है। उन्हीं की बदौलत ये योजना साकार हुई है और तीसरे चरण में हम और कामों की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसमें भक्त निवास शामिल है।””

अधिक जानकारी के अनुसारસ“पूरे सभी लगभग 700 कैमरों का सर्विलांस 24×7 यहां पर चलता है और जितने भी लोग उसमें कैप्चर होते हैं, उसका एक यूनिक आईडी जेनरेट होता है और सारे के सारे फेस रिकोनाइजेशन के माध्यम से उसकी काउंटिंग होती है। तो जब हम किसी भी जगह की इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से काउंटिंग हो या डेंसिटी हो या किसी एक सेक्टर में कितने लोग इकट्ठे हो गए हैं, क्या उस नंबर से ज्यादा हैं तो पॉप अप आ जाना या फिर हम किसी एरिया में लोगों को नहीं जाने देना चाहते हैं वो हमने फ्रेम कर दिया है, उसकी प्रोग्रामिंग कर दी है। यदि कोई वहां जाता है तो उसका एक अलार्मिंग अलर्ट आना। ऐसे लगभग 10 प्रकार के एनालिटिक्स हैं।”
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