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बाबासाहेब के आदर्शों को आत्मसात कर समावेशी व प्रगतिशील भारत के निर्माण में योगदान दें युवा : डॉ. वीरेंद्र कुमार

बाबासाहेब के आदर्शों को आत्मसात कर समावेशी व प्रगतिशील भारत के निर्माण में योगदान दें युवा : डॉ. वीरेंद्र कुमार

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नई दिल्ली, 15 अप्रैल। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को भारत रत्न डॉ. बी.आर. आंबेडकर की 135वीं जयंती पर आयोजित समारोह में उन्हें श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने ‘भारतीय संविधान की 75 वर्षों की यात्रा’ विषयक कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा संसदीय कार्य एवं विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में एनसीएससी के अध्यक्ष किशोर मकवाना, आयोग के सदस्य लवकुश कुमार और वड्डापल्ली रामचंदर शामिल थे।

डॉ. वीरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता होने के नाते समुदाय के कल्याण के लिए बाबासाहेब आंबेडकर के कई योगदानों के बारे में बताया। वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सामाजिक समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मंत्रों को विस्तार से दोहराया गया। उन्होंने डॉ. आंबेडकर द्वारा झेले गए अपार व्यक्तिगत कष्टों और सामाजिक अपमान पर विचार किया, जिसने सभी के लिए न्याय, सम्मान और समानता के लिए लड़ने के उनके संकल्प को और मजबूत किया।

उन्होंने युवाओं से बाबासाहेब के आदर्शों को आत्मसात करने और एक समावेशी और प्रगतिशील भारत के निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा के उपलक्ष्य में एनसीएससी द्वारा इस तरह के बड़े पैमाने पर आयोजित पहले समारोह की मंत्री ने सराहना की।

 

प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार मिलने पर ही सच्चा राष्ट्र निर्माण संभव : मेघवाल

वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्जुन राम मेघवाल ने भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में डॉ. आंबेडकर की भूमिका की सराहना की और जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुसूचित जातियों के लिए कानूनी सशक्तिकरण और प्रतिनिधित्व के महत्व पर जोर दिया। देश के युवाओं को प्रेरित करने के लिए मंत्री ने डॉ. बी. आर. आंबेडकर के जीवन से मिली पीड़ा और सीख को बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि समानता डॉ. आंबेडकर के दृष्टिकोण की आधारशिला थी और सच्चा राष्ट्र निर्माण तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार, अवसर और सम्मान मिले।

सभा को संबोधित करते हुए एनसीएससी अध्यक्ष किशोर मकवाना ने हाशिए पर पड़े समुदायों के बीच शिक्षा, आत्म-सम्मान और चरित्र निर्माण में डॉ. आंबेडकर के स्थायी योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने अनुसूचित जातियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने और नीति निर्माण, जागरूकता और सक्रिय निगरानी के माध्यम से उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के एनसीएससी के संकल्प की पुष्टि की। एनसीएससी सदस्य लवकुश कुमार ने न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज की नींव रखने में डॉ. आंबेडकर द्वारा निभाई गई क्रांतिकारी भूमिका पर जोर दिया। सदस्य वड्डापल्ली रामचंदर ने जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ डॉ. आंबेडकर के अथक संघर्ष और संविधान में सामाजिक न्याय को स्थापित करने के उनके प्रयासों पर विचार किया।

इससे पहले अपने स्वागत भाषण में एनसीएससी सचिव जी. श्रीनिवास ने शिकायतों के निबटान, पारदर्शिता और याचिकाकर्ताओं को निरंतर प्रतिक्रिया/अद्यतन में सुधार के लिए वर्तमान आयोग के प्रयासों पर संक्षेप में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत सौंपी गई प्रमुख जिम्मेदारियों के तहत एनसीएससी एससी समुदायों तक पहुंचने के लिए विभिन्न कदम उठा रहा है।

एनसीएससी की नई वेबसाइट का उद्घाटन

कार्यक्रम के दौरान डॉ. वीरेंद्र कुमार ने एनसीएससी की नई वेबसाइट का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में डॉ. अंबेडकर के जीवन पर आधारित क्लिपों की स्क्रीनिंग और गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन भी किया गया। इस अवसर पर भारत के संविधान की वास्तविक प्रति के साथ-साथ बाबासाहेब आंबेडकर पर लिखी गई प्रमुख पुस्तकों का डिजिटल प्रदर्शन भी किया गया।

इस समारोह में सांसदों/पूर्व सांसदों, अन्य सभी आयोगों के सदस्यों, विभिन्न संघों के अध्यक्षों/महासचिवों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, शैक्षिक संस्थानों/विश्वविद्यालयों के सीएमडी/एमडी/ईडी/निदेशकों तथा देश भर के अन्य गणमान्य व्यक्तियों, विद्वानों, सामाजिक न्याय अधिवक्ताओं की व्यापक भागीदारी देखी गई।

 

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