1. Home
  2. हिंदी
  3. राष्ट्रीय
  4. सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कॉलेज में हिजाब पर लगी रोक हटाई, पूछा – तिलक और बिंदी को छूट क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कॉलेज में हिजाब पर लगी रोक हटाई, पूछा – तिलक और बिंदी को छूट क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कॉलेज में हिजाब पर लगी रोक हटाई, पूछा – तिलक और बिंदी को छूट क्यों?

0
Social Share

नई दिल्ली, 9 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के एक कॉलेज द्वारा जारी उस सर्कुलर पर रोक लगा दी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी और इसी तरह के अन्य परिधान पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि लड़कियों को कक्षा के अंदर बुर्का पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती और परिसर में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती।

मुस्लिम छात्राओं के लिए ड्रेस कोड को लेकर उठे नए विवाद के केंद्र में कॉलेज प्रशासन से पीठ ने कहा, ‘छात्राओं को यह चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे क्या पहनें और कॉलेज उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता… यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अचानक पता चलता है कि देश में कई धर्म हैं।’ पीठ ने पूछा, ‘क्या आप कह सकते हैं कि तिलक लगाने वाले को अनुमति नहीं दी जाएगी? यह आपके निर्देशों का हिस्सा नहीं है?’

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय गत जून में बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कॉलेज के प्रतिबंध को लागू करने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था।

विज्ञान डिग्री कोर्स के दूसरे और तीसरे वर्ष में नामांकित नौ छात्राओं ने कॉलेज के निर्देश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, जिसमें उनके धर्म का पालन करने का अधिकार, निजता का अधिकार और पसंद का अधिकार शामिल है।

यह विवाद 1 मई को शुरू हुआ, जब चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने अपने आधिकारिक ह्वाट्सएप ग्रुप पर एक नोटिस जारी की, जिसमें संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे। नोटिस में एक ड्रेस कोड की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी, बैज और स्टोल पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह “कानून के अनुसार गलत, निरर्थक और अमान्य” है।

छात्रों ने शुरू में कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल से संपर्क किया और कक्षा में अपनी पसंद, सम्मान और गोपनीयता के अधिकार का हवाला देते हुए हिजाब, नकाब और बुर्का पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया। जब उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया, तो उन्होंने मामले को मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और उप-कुलपति के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के समक्ष उठाया और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्रदान करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की। हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर छात्रों ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं के वकील अल्ताफ खान ने कुरान की आयतें पेश करके तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा है। याचिका में कहा गया कि कॉलेज की काररवाई “मनमाना, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत” थी।

कॉलेज प्रबंधन ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह एक समान ड्रेस कोड लागू करने और अनुशासन बनाए रखने का एक उपाय है, तथा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करने के किसी भी इरादे से इनकार किया। कॉलेज का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड सभी धर्मों और जातियों के छात्रों पर लागू होता है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code